आज मेरे ही किसी की बेकली दिल में उठी
आज मेरे ही किसी की बेकली दिल में उठी
आज मेरे ही किसी की बेकली दिल में उठी!
इस क़दर बैचेनी की ही बेबसी दिल में उठी
भूलकर दिल से किसी की बेवफ़ाई को मगर
आज करने को किसी से दोस्ती दिल में उठी
सोचता हूँ मैं उसे अपना बना लूँ उम्रभर
हाँ किसी के ही लिए जो आशिक़ी दिल से उठी
हाँ लबो से कैसे हँसता मैं भला अपनें मगर
ग़म इतना था की नहीं मेरे हंसी दिल से उठी
चाहकर भी हाल उसका मैं सुना पाया नहीं
क्या बताऊँ रोज़ मेरे बेबसी दिल से उठी
एक भी अल्फाज़ लिख पाया नहीं हूँ प्यार के
ग़म भरी हर पल यहां तो शाइरी दिल से उठी
जो नहीं मेरा हुआ उसके लिए क्यो ए ख़ुदा
रोज़ आज़म के बहुत दीवानगी दिल से उठी
️शायर: आज़म नैय्यर
(सहारनपुर )
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