आप जीवित या मृत | Aap Jivit ya Mrit

आप जीवित या मृत

( Aap Jivit ya Mrit )

 

एक कविता,
और हम दोनों
मैं और मेरी मोहब्बत
खामोशी में उदास है
कहते हैं
मैं आज के बाद
आपकी चुप्पी स्वीकार नहीं करूंगा
मैं अपनी चुप्पी स्वीकार नहीं करूंगा
मेरा जीवन आपके चरणों में बर्बाद हो गया है
मैं आपका चिंतन करता हूं..
और मैं आपसे सुनता हूं ..
और तुम बोलते नहीं..
मेरी खंडहर चीख
तुम्हारे हाथों में है
अपने होंठ को हिलाओ
मैं बोलता हूं
ताकि मैं बोल सकूं
मैं चिल्लाता हूं
ताकि मैं चिल्ला सकूं
मेरी जीभ अभी भी सूली पर चढ़ी हुई है
शब्दों के बीच
जीना शर्म की बात है
सड़कों पर कैद
एक मूर्ति बने रहना
कितने शर्म की बात है
और चट्टानें बता रही हैं
कि आपके नौकरों ने लंबे समय से क्या खोया है
सारी प्रार्थनाएं आप में एकजुट हो गईं
और आप दुनिया के लिए एक तीर्थस्थल बन गए
मुझे बताएं
कि मृतकों की चुप्पी क्या बता सकती है
तुम्हारे दिमाग में क्या है?
मुझे बताओ..
जमाना बीत गया..
और राजा झुक गए..
और सिंहासन गिर गए
और मैं कैद हो गया…
तुम्हारी खामोशी मेरे चेहरे पर
जीवन के लिए एक खंडहर हैं
वही खंडहर हैं इस दुनिया में आपका चेहरा।
क्या आप मर चुके हैं…
या जीवित हैं?
लेकिन आप कुछ ऐसे हैं
जो मैं नहीं जानता
आप न तो जीवित हैं…
और न ही मृत……।

 

Manjit Singh

मनजीत सिंह
सहायक प्राध्यापक उर्दू
कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय ( कुरुक्षेत्र )

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