आपसे सर्वस्व मेरा | Aapse Sarvasya Mera
आपसे सर्वस्व मेरा
( Aapse Sarvasya Mera )
आप सर्वस्व मेरे,
आपके श्री चरणों में मेरा सर्वस्व अर्पण है।
आप मेरे प्राण के प्राण,
आप मेरे प्राण धन हैं।
आपके श्री चरणों में मेरा सर्वस्व अर्पण है।
हे प्राणनाथ, मेरे प्राणेश्वर!
बलिहारी नित मैं आप पर।
आपका श्री चरण मेरा घर।
चरण कमल का भौंरा यह मन है।
आप मेरे प्राण के प्राण,
आप मेरे प्राण धन हैं ।
आपके श्री चरणों में मेरा सर्वस्व अर्पण है।
अनवरत तपस्या कर रही हूँ।
बाली उमरिया से धैर्य धर रही हूंँ।
विरह व्यथा से नित लड़ रही हूंँ।
धन्य आपसे सृष्टि का कण-कण है।
आप मेरे प्राण के प्राण,
आप मेरे प्राण धन हैं।
आपके श्री चरणों में मेरा सर्वस्व अर्पण है।
कब होंगे मेरी तपस्या के दिन पूरे?
श्री चरणों से दूर सर्वस्व मेरे अधूरे।
रहता है घेरे नित दुःखों के घेरे।
पहाड़ सम भारी एक-एक क्षण है।
आप मेरे प्राण के प्राण,
आप मेरे प्राण धन हैं।
आपके श्री चरणों में मेरा सर्वस्व अर्पण है।
रचयिता – श्रीमती सुमा मण्डल
वार्ड क्रमांक 14 पी व्ही 116
नगर पंचायत पखांजूर
जिला कांकेर छत्तीसगढ़