Rishtey par kavita
Rishtey par kavita

रिश्ते

( Rishtey ) 

 

खामोशियों से रुकसत हो जाते हैं हर रिश्ते,
अगर चुपचाप रहोगे गूंगे हो जाते है हर रिश्ते।
कभी कभी बेमतलब ही बात कर लिया करो,
बने रहेंगे हमेशा सदा तुम्हारे अपने हर रिश्ते।।

 

बनाने से बन जाते हैं इस दुनिया में रिश्ते,
बिगाड़ने से बिगड़ जाते हैं दुनिया में रिश्ते।
कौन कहता है ऊपर से बनकर आते हैं रिश्ते,
सच्चाई ये है इस धरा पर आकर बनते हैं रिश्ते।।

 

कुछ जन्म से बन जाते हैं रिश्ते इस दुनिया में,
कुछ प्यार से बन जाते है रिश्ते इस दुनिया में।
रिश्तों की भी अजीब दुनिया है मेरे दोस्तो,
सगे रिश्ते भी हो जाते है दुश्मन इस दुनिया में।।

 

मेरी मासूम नादानियों ने रुलाया है बहुत,
मतलबी रिश्तेदारों ने दिल दुखाया है बहुत।
करे तो क्या करे इनसे रिश्ते बना कर हम,
इन्होंने तो सताया है हमे हर तरह से बहुत।।

 

इस मतलबी दुनिया में कौन किसी का होता है,
धोखा वही देता है जिस पर भरोसा होता है।
जुबान बड़ी मीठी होती है,अक्सर जिसकी
वही जुबान वाला अक्सर धोखेबाज होता है।।

 

रचनाकार : आर के रस्तोगी

 गुरुग्राम ( हरियाणा )

यह भी पढ़ें :-

घंटाघर की चार घड़ी | Poem ghanta ghar ki char ghadi

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here