आरजू | Aarzoo par muktak
आरजू
( Aarzoo )
एक आरजू एक तमन्ना एक मेरी अभिलाषा।
अटल रहूं सीमा पे धर रण कौशल की भाषा।
जोश जज्बा रग-रग में हौसला है भरपूर मेरा।
तिरंगा की शान में झुका ले हम शीश जरा सा।
अरि दल से लोहा लेने को भीड़ जाते तूफां से।
तपन धरा की ओज भरती बतियाती हवा से।
मातृभूमि पर शीश चढ़ाते वंदन महावीरोंं को।
वतन परस्ती जोश दिलों में जोशीले नारों से।
रचनाकार : रमाकांत सोनी सुदर्शन
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )
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