Aansoo par muktak
Aansoo par muktak

पदांत आंसू

( Padant aansoo ) 

 

सारे पापों को धो देते हैं वो प्रायश्चित के आंसू।
प्रेम का उमडता सागर नैन छलक आते आंसू।
महकते फूल प्यारे अब खिलते कहां बागानों में।
राज भले छुपा लो दिल में सब कह जाते आंसू।

 

अपना बनाके हमें वो फिर रूला गए आंसू।
आशाओं का चिराग नैना बरसा रहे आंसू।
दर्द की बहती धारा वो पलकों का मोती भी।
प्रीत की पीर ऐसी दिल में नैन आ रहे आंसू।

 

 

रचनाकार : रमाकांत सोनी सुदर्शन

नवलगढ़ जिला झुंझुनू

( राजस्थान )

यह भी पढ़ें :-

घुंघट | Muktak in Hindi

 

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here