आशिकी मे मेरा नाम आने तो दो | Aashiqui shayari
आशिकी मे मेरा नाम आने तो दो
( Aashiqui mein mera naam aane to do )
एक से एक मिल चार हो जाएगी,
तुम मिला कर तो देखों नयन से नयन।
दो से दो मिल के लाएगी ऐसी लहर,
बात सारे शहर में बिखर जाएगी।
खुशबूओं का चलन इत्र सा अब नही,
जिस्म से रूह तक मेरे महकाएगी।
कहने वाले कहेगे ये सदियों से है,
रात रानी सी बंगिया महक जाएगी।
क्या कहे तुमसे हम,तुम नजर को पढो,
बात मन की इशारे से हमसे कहों।
जुस्तजू आरजू ख्वाहिशें एक है,
तुम उसे पढने की फिर से कोशिश करो।
कोई दर्पण कहे आइना मैं नही,
मन की बातों को पढने मे माहिर हूँ मैं।
पर मैं कैसे कहूँ लिख रहा हूँ तभी,
देख लो एक संगदिल सा शायर हूँ मै।
शब्दों से खेलता, आँखों से पूछता,
हूंक कैसा है हुंकार से आ मिलो।
प्रीत को थोड़ा अपने मचल जाने दो,
आशिकी में मेरा नाम आने तो दो।
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कवि : शेर सिंह हुंकार
देवरिया ( उत्तर प्रदेश )