आसमान | Aasman kavita
“आसमान”
( Aasman : Hindi poem )
( Aasman : Hindi poem )
त्याग निद्रा,जाग मुसाफिर ( Tyag nidra jaag musafir ) बीती रात ,हुआ सवेरा पक्षी कुल का, हुआ बसेरा कैसे लक्ष्य,तय होगा फिर त्याग निद्रा,जाग मुसाफिर, सोकर कौन? कर पाया क्या? बैठ करके,खोया ना क्या? खोते वक्त, मत जा आखिर, न सोवो उठ,जाग मुसाफिर। अपने आप, समझता क्यों न? होके सबल, सभलता क्यों…
भारतरत्न श्री अटल बिहारी वाजपेयी आदर्शों पर अटल हिमालय, सी जिनकी इच्छा शक्ति,कर्त्तव्य पथ पर अडिग, अकम्प आदर्श देश भक्ति,अटल विचारों के स्वामी, सत्य पथिक विहारी थे,ऐसे अटल बिहारी करते नाम की सार्थक अभिव्यक्ति! नवयौवन में गृहत्याग समर्पित, देश को जीवन कर डाला,मानवता की सेवा करने, निस्वार्थ राजधर्म पाला,स्वतंत्रता संग्राम में बढ़ चढ़, जन चेतना…
तीज का त्यौहार ( Teej ka tyohar ) तीज का आया यह प्यारा त्यौहार, बादलों से बरस रही हल्की फुहार। सातरंग में रंगा है प्यारा आसमान, चारों और छाया यह बसन्त बहार।। हरा भरा हो गया यह सारा जहान, झूलें का मौसम में खास परिधान। हरें पत्तों- लताओं से झूला सजाते, झूला झूलकर जैसे…
मन का सावन ( Man ka Sawan ) कोकिला, पपीहा के मधुर बोल, बारिश की रिमझिम, हरियाली चहुँओर। साजन की याद सताये, रह-रहकर, आया सावन माह देखों झूमकर–2 झूले पड़ गये, डाली-डाली बम-बम बोले, हर गली-गली–2 कजरी की धुन,लगे मनभावन–2 बहुत सताता है ये, मन का सावन –2 मादकता में ,अवगाहन धरती, वर्षा का रस…
तेरी चाहत के सिवा ( Teri Chahat ke Siva ) कई काम हैं और भी जिंदगी में तेरी चाहत के सिवा वक्त की पेचीदगी ने सोचने की मोहलत ही दी कहाँ आरजू तो थी बहुत तेरी बाहों में सर रखने की कमबख्त कभी तकदीर तो कभी खामोशी भी दगा दे गई तेरे आंचल से…
होली पर्व ( Holi Parv ) ( 2 ) होली पर्व धर्म से निष्काम बनती आत्मा । होली पर्व पर धर्म से पल – पल होती विकसित आत्मा । होली पर्व पर धर्म से मन में समता सरसाये । होली पर्व पर धर्म से शुद्ध भावों के फूल खिले । होली पर्व पर धर्म से…
त्याग निद्रा,जाग मुसाफिर ( Tyag nidra jaag musafir ) बीती रात ,हुआ सवेरा पक्षी कुल का, हुआ बसेरा कैसे लक्ष्य,तय होगा फिर त्याग निद्रा,जाग मुसाफिर, सोकर कौन? कर पाया क्या? बैठ करके,खोया ना क्या? खोते वक्त, मत जा आखिर, न सोवो उठ,जाग मुसाफिर। अपने आप, समझता क्यों न? होके सबल, सभलता क्यों…
भारतरत्न श्री अटल बिहारी वाजपेयी आदर्शों पर अटल हिमालय, सी जिनकी इच्छा शक्ति,कर्त्तव्य पथ पर अडिग, अकम्प आदर्श देश भक्ति,अटल विचारों के स्वामी, सत्य पथिक विहारी थे,ऐसे अटल बिहारी करते नाम की सार्थक अभिव्यक्ति! नवयौवन में गृहत्याग समर्पित, देश को जीवन कर डाला,मानवता की सेवा करने, निस्वार्थ राजधर्म पाला,स्वतंत्रता संग्राम में बढ़ चढ़, जन चेतना…
तीज का त्यौहार ( Teej ka tyohar ) तीज का आया यह प्यारा त्यौहार, बादलों से बरस रही हल्की फुहार। सातरंग में रंगा है प्यारा आसमान, चारों और छाया यह बसन्त बहार।। हरा भरा हो गया यह सारा जहान, झूलें का मौसम में खास परिधान। हरें पत्तों- लताओं से झूला सजाते, झूला झूलकर जैसे…
मन का सावन ( Man ka Sawan ) कोकिला, पपीहा के मधुर बोल, बारिश की रिमझिम, हरियाली चहुँओर। साजन की याद सताये, रह-रहकर, आया सावन माह देखों झूमकर–2 झूले पड़ गये, डाली-डाली बम-बम बोले, हर गली-गली–2 कजरी की धुन,लगे मनभावन–2 बहुत सताता है ये, मन का सावन –2 मादकता में ,अवगाहन धरती, वर्षा का रस…
तेरी चाहत के सिवा ( Teri Chahat ke Siva ) कई काम हैं और भी जिंदगी में तेरी चाहत के सिवा वक्त की पेचीदगी ने सोचने की मोहलत ही दी कहाँ आरजू तो थी बहुत तेरी बाहों में सर रखने की कमबख्त कभी तकदीर तो कभी खामोशी भी दगा दे गई तेरे आंचल से…
होली पर्व ( Holi Parv ) ( 2 ) होली पर्व धर्म से निष्काम बनती आत्मा । होली पर्व पर धर्म से पल – पल होती विकसित आत्मा । होली पर्व पर धर्म से मन में समता सरसाये । होली पर्व पर धर्म से शुद्ध भावों के फूल खिले । होली पर्व पर धर्म से…
त्याग निद्रा,जाग मुसाफिर ( Tyag nidra jaag musafir ) बीती रात ,हुआ सवेरा पक्षी कुल का, हुआ बसेरा कैसे लक्ष्य,तय होगा फिर त्याग निद्रा,जाग मुसाफिर, सोकर कौन? कर पाया क्या? बैठ करके,खोया ना क्या? खोते वक्त, मत जा आखिर, न सोवो उठ,जाग मुसाफिर। अपने आप, समझता क्यों न? होके सबल, सभलता क्यों…
भारतरत्न श्री अटल बिहारी वाजपेयी आदर्शों पर अटल हिमालय, सी जिनकी इच्छा शक्ति,कर्त्तव्य पथ पर अडिग, अकम्प आदर्श देश भक्ति,अटल विचारों के स्वामी, सत्य पथिक विहारी थे,ऐसे अटल बिहारी करते नाम की सार्थक अभिव्यक्ति! नवयौवन में गृहत्याग समर्पित, देश को जीवन कर डाला,मानवता की सेवा करने, निस्वार्थ राजधर्म पाला,स्वतंत्रता संग्राम में बढ़ चढ़, जन चेतना…
तीज का त्यौहार ( Teej ka tyohar ) तीज का आया यह प्यारा त्यौहार, बादलों से बरस रही हल्की फुहार। सातरंग में रंगा है प्यारा आसमान, चारों और छाया यह बसन्त बहार।। हरा भरा हो गया यह सारा जहान, झूलें का मौसम में खास परिधान। हरें पत्तों- लताओं से झूला सजाते, झूला झूलकर जैसे…
मन का सावन ( Man ka Sawan ) कोकिला, पपीहा के मधुर बोल, बारिश की रिमझिम, हरियाली चहुँओर। साजन की याद सताये, रह-रहकर, आया सावन माह देखों झूमकर–2 झूले पड़ गये, डाली-डाली बम-बम बोले, हर गली-गली–2 कजरी की धुन,लगे मनभावन–2 बहुत सताता है ये, मन का सावन –2 मादकता में ,अवगाहन धरती, वर्षा का रस…
तेरी चाहत के सिवा ( Teri Chahat ke Siva ) कई काम हैं और भी जिंदगी में तेरी चाहत के सिवा वक्त की पेचीदगी ने सोचने की मोहलत ही दी कहाँ आरजू तो थी बहुत तेरी बाहों में सर रखने की कमबख्त कभी तकदीर तो कभी खामोशी भी दगा दे गई तेरे आंचल से…
होली पर्व ( Holi Parv ) ( 2 ) होली पर्व धर्म से निष्काम बनती आत्मा । होली पर्व पर धर्म से पल – पल होती विकसित आत्मा । होली पर्व पर धर्म से मन में समता सरसाये । होली पर्व पर धर्म से शुद्ध भावों के फूल खिले । होली पर्व पर धर्म से…