आसमान | Aasman kavita
“आसमान”
( Aasman : Hindi poem )
( Aasman : Hindi poem )
बेसुरी बांसुरी ( Besuri bansuri ) क्यों बनाते हो जीवन को बेसुरी सी बांसुरी फूंक कर सांसों को देखो सुर भरी है राग री। चार दिनों की चांदनी है फिर अधेरी रात री। कब बुझे जीवन का दीपक कर लो मन की बात री। जोड़ कर रख ले जितना भी धन सम्पत्ति…
जीना मरना ( Jeena Marna ) घुट घुट कर जीने से मरना बेहत्तर घुटने टेक कर जीने से मरना बेहत्तर अकेले आये हो आज़ाद बन कर जीना ग़ुलाम बन कर जीने से मरना बेहत्तर सिर ऊंचा कर जीओ अदब एह़तराम से बेज़मीर बन कर जीने से मरना बेहत्तर पराये मह़ल से अपनी झुग्गी झौंपड़ी…
2624 वां महावीर जन्म कल्याणक दिवस भगवान महावीर को मेरा भावों से शत – शत वन्दन !भगवान महावीर की राह को अपनायें ।मानव जीवन सफल बनायें ।अब भोर है उठ जाग जायें ।क्यों आँखें मूंदकर हम सोयें ।संत हमारी मूर्छित चेतना जगाते ।कीमती वक्त हमारा हम क्यों खोते।दुनिया की हैं यह झूठी माया ।जैसे बादल…
छांव की तलाश ( Chhav ki talaash ) चिलचिलाती धूप में, पंछी पानी को तरसे। गर्मी से व्याकुल फिरे, छांव की तलाश में। सूख गये नदी नाले, छाया सब ढूंढ रहे। गर्म तवे सी धरती, तप रही आग में। झुलस रहे हैं सारे, जलती हुई धूप में। ठंडी छांव मिले कहीं, चल…
हे जग के करतार ( He jag ke kartar ) हे जग के करतार, जग का पालनहारा, लौटा दो मुस्कान लबों की, सुनो सांवरा प्यारा । घट घटवासी अंतर्यामी, हाल पता है सारा, मंझधार में डूबी नैया, प्रभु लगा दो किनारा। कुदरत कई रंग बदलती, क्यों लीला करते हो, सबको जीवन देने…
नारी नित नमनीय ( Nari Nit Namniye ) रंग बिखरे हों रंगोली से भरा हो सारा आकाश नेह का काजल लगाकर खत्म सारे ‘ काश’ हों …..! आदी से उस लक्ष्य तक की वीथिका के वृत्त को जोड़ती और संवारती अब बने हम व्यास। जगत सृजित करे नारी ही बहन बेटी पत्नी मां का…
बेसुरी बांसुरी ( Besuri bansuri ) क्यों बनाते हो जीवन को बेसुरी सी बांसुरी फूंक कर सांसों को देखो सुर भरी है राग री। चार दिनों की चांदनी है फिर अधेरी रात री। कब बुझे जीवन का दीपक कर लो मन की बात री। जोड़ कर रख ले जितना भी धन सम्पत्ति…
जीना मरना ( Jeena Marna ) घुट घुट कर जीने से मरना बेहत्तर घुटने टेक कर जीने से मरना बेहत्तर अकेले आये हो आज़ाद बन कर जीना ग़ुलाम बन कर जीने से मरना बेहत्तर सिर ऊंचा कर जीओ अदब एह़तराम से बेज़मीर बन कर जीने से मरना बेहत्तर पराये मह़ल से अपनी झुग्गी झौंपड़ी…
2624 वां महावीर जन्म कल्याणक दिवस भगवान महावीर को मेरा भावों से शत – शत वन्दन !भगवान महावीर की राह को अपनायें ।मानव जीवन सफल बनायें ।अब भोर है उठ जाग जायें ।क्यों आँखें मूंदकर हम सोयें ।संत हमारी मूर्छित चेतना जगाते ।कीमती वक्त हमारा हम क्यों खोते।दुनिया की हैं यह झूठी माया ।जैसे बादल…
छांव की तलाश ( Chhav ki talaash ) चिलचिलाती धूप में, पंछी पानी को तरसे। गर्मी से व्याकुल फिरे, छांव की तलाश में। सूख गये नदी नाले, छाया सब ढूंढ रहे। गर्म तवे सी धरती, तप रही आग में। झुलस रहे हैं सारे, जलती हुई धूप में। ठंडी छांव मिले कहीं, चल…
हे जग के करतार ( He jag ke kartar ) हे जग के करतार, जग का पालनहारा, लौटा दो मुस्कान लबों की, सुनो सांवरा प्यारा । घट घटवासी अंतर्यामी, हाल पता है सारा, मंझधार में डूबी नैया, प्रभु लगा दो किनारा। कुदरत कई रंग बदलती, क्यों लीला करते हो, सबको जीवन देने…
नारी नित नमनीय ( Nari Nit Namniye ) रंग बिखरे हों रंगोली से भरा हो सारा आकाश नेह का काजल लगाकर खत्म सारे ‘ काश’ हों …..! आदी से उस लक्ष्य तक की वीथिका के वृत्त को जोड़ती और संवारती अब बने हम व्यास। जगत सृजित करे नारी ही बहन बेटी पत्नी मां का…
बेसुरी बांसुरी ( Besuri bansuri ) क्यों बनाते हो जीवन को बेसुरी सी बांसुरी फूंक कर सांसों को देखो सुर भरी है राग री। चार दिनों की चांदनी है फिर अधेरी रात री। कब बुझे जीवन का दीपक कर लो मन की बात री। जोड़ कर रख ले जितना भी धन सम्पत्ति…
जीना मरना ( Jeena Marna ) घुट घुट कर जीने से मरना बेहत्तर घुटने टेक कर जीने से मरना बेहत्तर अकेले आये हो आज़ाद बन कर जीना ग़ुलाम बन कर जीने से मरना बेहत्तर सिर ऊंचा कर जीओ अदब एह़तराम से बेज़मीर बन कर जीने से मरना बेहत्तर पराये मह़ल से अपनी झुग्गी झौंपड़ी…
2624 वां महावीर जन्म कल्याणक दिवस भगवान महावीर को मेरा भावों से शत – शत वन्दन !भगवान महावीर की राह को अपनायें ।मानव जीवन सफल बनायें ।अब भोर है उठ जाग जायें ।क्यों आँखें मूंदकर हम सोयें ।संत हमारी मूर्छित चेतना जगाते ।कीमती वक्त हमारा हम क्यों खोते।दुनिया की हैं यह झूठी माया ।जैसे बादल…
छांव की तलाश ( Chhav ki talaash ) चिलचिलाती धूप में, पंछी पानी को तरसे। गर्मी से व्याकुल फिरे, छांव की तलाश में। सूख गये नदी नाले, छाया सब ढूंढ रहे। गर्म तवे सी धरती, तप रही आग में। झुलस रहे हैं सारे, जलती हुई धूप में। ठंडी छांव मिले कहीं, चल…
हे जग के करतार ( He jag ke kartar ) हे जग के करतार, जग का पालनहारा, लौटा दो मुस्कान लबों की, सुनो सांवरा प्यारा । घट घटवासी अंतर्यामी, हाल पता है सारा, मंझधार में डूबी नैया, प्रभु लगा दो किनारा। कुदरत कई रंग बदलती, क्यों लीला करते हो, सबको जीवन देने…
नारी नित नमनीय ( Nari Nit Namniye ) रंग बिखरे हों रंगोली से भरा हो सारा आकाश नेह का काजल लगाकर खत्म सारे ‘ काश’ हों …..! आदी से उस लक्ष्य तक की वीथिका के वृत्त को जोड़ती और संवारती अब बने हम व्यास। जगत सृजित करे नारी ही बहन बेटी पत्नी मां का…