अब क्या छोडूं | Ab Kya Chodu
अब क्या छोडूं
( Ab Kya Chodu )
हॅंसना गाना बाल बनाना छोड़ दिया सब अब क्या छोडूं,
दुनिया भर से बैर तुम्हें तो बोलो तो अब दुनिया छोडूॅं।
अपनी सब आशाइश प्यारी सारे शौक अभी तक ज़िंदा
मुझसे है उम्मीद मगर ये हर ख्वाहिश हर सपना छोड़ूॅं।
भॅंवरा सिफ़त तबीयत लेकर हर गुलशन में जाते लेकिन,
चाह यही जब भी लौटो तुम आने का मैं रस्ता छोड़ूॅं।
दोस्त मुख़ालिफ़ और मुनाफ़िक लेकिन गीबत क्या करना है,
रह करके खामोश सुलह का उनसे कोई ज़रिया छोड़ूॅं।
जान लगाके दूध पिला के जिस माॅं ने पाला है मुझको,
किसकी खातिर और भला क्यों आज उसे मैं तन्हा छोड़ूॅं।
हर बंदे को अपने जैसे एक फ़कत इंसान समझ लो,
बस इतना ही कर लो तो मैं तुमसे सारा झगड़ा छोड़ूॅं।
हासिल हो बस एक मुहब्बत बाकी फिर लाहासिल क्या है,
मालिक नेमत एक अता ये कर दे तो सब शिकवा छोड़ूॅं।
सीमा पाण्डेय ‘नयन’
देवरिया ( उत्तर प्रदेश )
आसाइश – ऐश आराम
भौंरा सिफ़त – भौंरे के समान
मुख़ालिफ़ – विरोधी
मुनाफ़िक – कथनी करनी में फ़र्क रखने वाले
फ़कत – सिर्फ
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