अब रहा है कौन अपना गांव में | Ghazal
अब रहा है कौन अपना गांव में
( Ab raha hai kaun apne gaon mein )
अब रहा है कौन अपना गांव में
रह गया हूँ देखो तन्हा गांव में!
वो नहीं आया नगर से लौटकर
रस्ता उसका रोज़ देखा गांव में
छोड़ आया हूँ नगर मैं इसलिए
है मकां ए यारों मेरा गांव में
जब से तूने की वफ़ा में है दग़ा
हर लबों पे ख़ूब चर्चा गांव में
टूटी दीवारें उल्फ़त की देखिए
कल हुआ है ऐसा दंगा गांव में
शहर में तेरा बहुत रह मैं लिया
चलता हूँ अब यार अच्छा गांव में