अभी है वक्त | Abhi Hai Waqt
अभी है वक्त
( Abhi hai waqt )
खौल उठना है खून ,जब
देती है दिखाई नग्न ता
वह सोच की हो या परिधान की
या हो डूबती संस्कृति और सभ्यता
पुरखों से मिली धरोहर को
निगल रही यह आधुनिकता
पुरुषत्व हीन हो रही नव पीढ़ी
गांजा चरस अफीम की विविधता
शर्म , लाज, हया सब खत्म हो रहे
आदर, लिहाज, सम्मान सब भस्म हो रहे
उठ रहीं दीवारें घर के भी भीतर भीतर
भाई-भाई के ही दुश्मन सब हो रहे
जुआ, शराब ,बलात्कार का बढ़ना
दंगे , फसाद , हिंसा अनाचार का बढ़ना
हो जाता है मन विवश देख हाल
जाने किस असुर ने चली यह चाल
भारत, रत ज्ञान मे रहा सदा
विश्वा गुरुकुल के पद आसीन रहा सदा
अब के यह भारत जाने कहां जा रहा
अभी भी है वक्त संभल जाओ कह रहा
( मुंबई )