आचार्य श्री महाश्रमण जी | Acharya Shri Mahashraman Ji
आचार्य श्री महाश्रमण जी
( Acharya Shri Mahashraman Ji )
गण के है आप जयोतिर्धाम ।
अभिनव चिन्तन गहरा मंथन ।
प्राप्त हुए हमको ग्याहरवें गण सरताज ।
नेमा प्यारे झूमर नन्दन,
है गण के देदिप्यमान सितारे।
झूमरकुल उजियारे ,
है गण के दुलारे ।
मनमोहक है आकर्षण ,
लाखों – लाखों के है तारे ।
प्रातः वन्दनीय , स्मरणीय ,
प्रभो ! हमारे संघ नायक ।
चुम्बकीय है आकर्षण ,
मन मंदिर के गुरू घनश्याम ।
गुरूवर से पा रहे पावन पथ – दर्शन ,
बढ़ता सतत जनता में आकर्षण ।
संयम जीवन की अकथ कहानी ,
गुरू के तप तेज की है निशानी ।
ज्ञान की सरिता सदा बहा रहे ।
अंधकार में ज्योति जलाई ।
पग – पग पर संयम जीवन की गाथा ,
करता गुरू को सारा विश्व सलाम ।
जन्मोत्सव दिवस हम गुरू का मनाएं ।
भावों का हम अर्ध्य चढ़ाएं ।
प्रदीप छाजेड़
( बोरावड़)