Acharya Shri Mahapragya Ji
Acharya Shri Mahapragya Ji

आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी 

( Acharya Shri Mahapragya Ji )

 

महाप्रज्ञ जी का ध्यान धर ले ।
अपनी नैया भव से हम पार लगा ले |
खेवैया बनकर जीवन का लाभ कमा ले ।
महाप्रज्ञ जी का ध्यान धर ले ।
बहुत भयंकर है भव सागर,
डूब गये यहां कितने ही नर ,
सावधान होकर आगे बढ़े,
हम अपने साहस के बल पर ,
जीवन की ज्योति जगा ले ।
महाप्रज्ञ जी का ध्यान धर ले ।
काल अनन्त से भटक रहे जन ,
पता न कितने बदल चुके तन ,
पर न किसी का हो पाया है ,
अब तक अनुशासित यह जीवन
आत्म – दमन में हम नहा ले ।
महाप्रज्ञ जी का ध्यान धर ले ।
लक्ष्य न होता निश्चित जब तक ,
केवल भटकन रहती तब तक ,
पर हम सोचे जरा स्थिरता से ,
भटके जायेंगे यो कब तक ?
निश्चित लक्ष्य बना ले ।
महाप्रज्ञ जी का ध्यान धर ले ।
अपनी नैया भव से हम पार लगा ले |
खेवैया बनकर जीवन का लाभ कमा ले ।
महाप्रज्ञ जी का ध्यान धर ले ।

प्रदीप छाजेड़
( बोरावड़)

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