अलग अलग भगवान न होगा | Alag Alag Bhagwan
अलग अलग भगवान न होगा
( Alag alag bhagwan na hoga )
अलग अलग देवालय हैं पर
अलग अलग भगवान न होगा ।
भिन्न भावना होने से क्या
पूजा का अपमान न होगा।
एक ज्योति ही, जलती सब में
मन्दिर मस्जिद गुरुद्वारों में।
किन्तु उसे वे देख न पाते
भटक रहे जो अंधियारों में।
यदि मन में समभाव नहीं तो
श्रद्धा का सम्मान न होगा।
अलग अलग देवालय हैं पर
अलग अलग भगवान न होगा।
अपना अपना ग्यान सभी का,
एक नहीं हैं सबकी मतियां।
अर्चन वंदन आराधन की,
कितनी ही चलती पद्धतियां।
अपना और पराया ईश्वर,
यह कोई प्रतिमान न होगा।
अलग अलग देवालय हैं पर
अलग अलग भगवान न होगा।
समुचित नहीं चलाते जाना,
भेदभाव की यह परिपाटी।
विविधाकार पात्र के होते,
किन्तु एक ही सब में माटी।
एक सूर्य ही भासमान यदि
अपना और विहान न होगा।
अलग अलग देवालय हैं पर
अलग अलग भगवान न होगा।
लखनऊ (उत्तर प्रदेश)