Alsaayi Kalam

अलसायी कलम | Alsaayi Kalam

अलसायी कलम

( Alsaayi kalam ) 

 

यह
निढाल कलम
सुस्ताये से
अल्फाज़
करवट ले
मुँह मोड़कर
यह मेरी
डायरी के पन्ने

हाथ लगाने पर
कुछ यूं
उखड़े से
आँखें बंद किये
कसमसाते हुये
लिहाफ़ में
मानो और
दुबक गये
हाथों से मेरे
छिटक लिये

दबी आवाज़ में
मानो कह रहे
रात है
गहराती
हमें तो
सोने दो
हमे तो है
नींद बहुत
भाती

 

लेखिका :- Suneet Sood Grover

अमृतसर ( पंजाब )

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