Antar
Antar

अंतर

( Antar ) 

 

निर्वस्त्र कपड़ों मे
कैसी दिखती होगी वह
मांशल जिस्म
उभरे वक्षस्थल
कामिनी काया लिए हवस परी सी….

ठीक अनुभव किया तुमने
वह वैसी ही थी ,ठीक
जिसने तुम्हे पैदा किया
जिसने तुम्हे राखी बांधी
जिसकी डोली उठी घर से
ठीक, उस जैसी ही …

क्या फर्क लगा , उस और इन मे
वह भी तुम ही थे
और यह भी तुम ही हो
कभी इनपर भी यही प्रतिक्रिया आजमाना…

पुरुष हो
सब जायज है आपके लिए
किसी की भी बहन बेटी को
अगवा कर लो ,लूट लो
हत्या कर दो
निर्वस्त्र कर चौराहे पर परेड करवा दो
क्या फर्क पड़ता है
समर्थ और शक्तिशाली के लिए…

पुरुष होना सौभाग्य है
दुर्भागी तो स्त्री है
जो सब सह लेती है
प्रसव वेदना से निर्वस्त्र वेदना तक

सबसे बड़ा अंतर है तो केवल यही की ,या तो
भोगकर आप उसे मार डालते हो या
वह खुद को मार डालती है

आपका तो कुछ नही जाता
क्योंकि आप पुरुष हो
और वह स्त्री…

 

मोहन तिवारी

( मुंबई )

यह भी पढ़ें :-

बुनियाद | Buniyaad

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here