
रंग
( Rang )
नयनों से ही रग डाला है, उसने मुझकों लाल।
ना जाने इस होली में, क्या होगा मेरा हाल।
पिचकारी में रंग भर उसने, रग दी चुनर आज,
केसरिया बालम आजा तू,रग कर मुखडा लाल।
धानी चुनरी पीली चोली, लंहगे का रंग गुलाब।
नयन गुलाबी चाल शराबी, मुखडें से छलके राब।
पकडा पकडी कैसे होगा, चढा करोना काल,
हे निर्मोही फाग चढा है, छोड के आ अब जॉब।
क्या हो शायद अब आ जाए, सरकारी फरमान।
इस होली भी घर में रहकर, होली खेले मेहमान।
इसीलिए कहती हूँ तुमसे, छोड़ के आ सब काम।
घर में रह कर खेले होली, छेड सुरीला तान।
कवि : शेर सिंह हुंकार
देवरिया ( उत्तर प्रदेश )
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