जिंदगी में कुछ पल मेरी ठहरी ख़ुशी

जिंदगी में कुछ पल मेरी ठहरी ख़ुशी

जिंदगी में कुछ पल मेरी ठहरी ख़ुशी     जिंदगी में कुछ पल मेरी ठहरी ख़ुशी कर गया है ग़म मेरी हर जख़्मी ख़ुशी !   दिन उदासी भरे फ़िर गुजरते नहीं जिंदगी से नहीं दूर होती ख़ुशी   कोई हँसता कोई रोता है जहां में हर किसी को नहीं दोस्त मिलती ख़ुशी   पर…

पौधा संरक्षण है जरूरी

पौधा संरक्षण है जरूरी

पौधा संरक्षण है जरूरी ****** आओ मिलकर ठान लें पौधों की न जान लें महत्त्व उसकी पहचान लें अपना साथी मान लें वायु प्राण का है दाता फल फूल बीज दे जाता जीवन भर प्राणी उसे है खाता आश्रय भी है पाता फिर भी उसकी रक्षा करने से है कतराता जिस दिन नष्ट हो जाएगा…

अदब से वो यूं पेश आने लगे है

अदब से वो यूं पेश आने लगे है

अदब से वो यूं पेश आने लगे है     अदब से वो यूं पेश आने लगे है। कपट में सभी कुछ छुपाने लगे है।।   गए थे समझ झूठ पलभर में उनका। नहीं जान पाए जताने लगे है।।   बहुत बार झेला फ़रेबों को उनके। मुसीबत में फिर आजमाने लगे है।।   छुपाने वो…

उल्फ़त का कभी अच्छा अंजाम नहीं होता

उल्फ़त का कभी अच्छा अंजाम नहीं होता

उल्फ़त का कभी अच्छा अंजाम नहीं होता     उल्फ़त का कभी अच्छा अंजाम नहीं होता इससे बड़ा कोई भी बदनाम नहीं होता   मैं बात नही कह  पाता दिल की कभी उससे पीने को अगर हाथों में  जाम नहीं होता   हर व़क्त घेरे है यादें दिल को बहुत मेरे हाँ यादों से ही…

जब भी मिला तो आँख मिलाकर नहीं मिला

जब भी मिला तो आँख मिलाकर नहीं मिला

जब भी मिला तो आँख मिलाकर नहीं मिला     जब भी मिला तो आँख मिलाकर नहीं मिला दुश्मन भी मेरे कद के बराबर नहीं मिला   घर उसका मिल गया है, वो घर पर नहीं मिला यानी पता तो मिल गया नंबर नहीं मिला   लड़की को पूरी छूट मिली भी तो घर ही…

गृहशिल्पी

गृहशिल्पी

जब शिल्पी की शादी हुई तब उसकी उम्र 24 वर्ष थी।वह भी अन्य लड़कियों की तरह अपने जीवनसाथी की अर्धांगिनी बन उसके सुख-दुख बांटने ससुराल आ गयी। वह पढ़ी लिखी तो थी ही सुलझी और समझदार भी थी वरना पढ़ाई बीच मे छोड़कर अपने बूढ़े पिता का मान रखने की खातिर शादी के लिए बिना…

फूल उल्फ़त का दिया है आज फ़िर

फूल उल्फ़त का दिया है आज फ़िर

फूल उल्फ़त का दिया है आज फ़िर     फूल उल्फ़त का दिया है आज फ़िर! कोई अपना कर गया है आज फ़िर   छेड़कर नग्मात दिल के प्यार में कोई दिल रुला गया है आज फ़िर   छोड़ जो मुझको गया था भीड़ में वो मुझे अब ढूंढ़ता है आज फ़िर   याद आयी…

यहां तो जिंदगी में ग़म रहा है

यहां तो जिंदगी में ग़म रहा है

यहां तो जिंदगी में ग़म रहा है     यहां तो जिंदगी में ग़म रहा है ख़ुशी का कब यहां आलम रहा है   वफ़ा के नाम पत्थर मारे उसनें निगाहें करता मेरी नम रहा है   ख़ुशी का होता फ़िर अहसास कैसे ग़मों का सिलसिला कब कम रहा है   खिलेंगे गुल मुहब्बत के…

श्रीगंगा-स्तुति

श्रीगंगा-स्तुति

श्रीगंगा-स्तुति (गंगा दशहरे के शुभ अवसर पर)   जगत् पावनी जय गंगे। चारों युग त्रिलोक वाहनी त्रिकाल-विहारिणी जय गंगे।।   महा वेगवति, निर्मल धारा, सुधा तरंगिनी जय गंगे। महातीर्था, तीर्थ माता , सर्व मानिनी जय गंगे।।   अपारा, अनंता, अक्षुण्ण शक्ति, अघ-हारिणी जय गंगे। पुण्य-मोक्ष-इष्ट प्रदायिनि, भव-तारिणी जय गंगे।।   “कुमार”मन पावन करो ,शिव जटा…

वो हक़ीक़त में रूठे थे और रूठे ख़्वाब में

वो हक़ीक़त में रूठे थे और रूठे ख़्वाब में

वो हक़ीक़त में रूठे थे और रूठे ख़्वाब में     वो हक़ीक़त में रूठे थे और रूठे ख़्वाब में कर गये है वो गिले कल रात ऐसे ख़्वाब में   भूल जाता मैं उसे दिल से हमेशा के लिये वो अगर मेरे नहीं जो दोस्त होते ख़्वाब में   जिंदगी भर जो नहीं मेरे…