बड़ा नादान है तू

( Bada Nadan Hai tu )

बड़ा नादान है तू बेवजह हलकान होता है
समझ पाना मिज़ाज -ए-यार क्या आसान होता है।

लबों पे मुस्कुराहट कहर लेकिन दिल में रखते हैं
नया इक रोज़ ज़ारी क़त्ल का फ़रमान होता है।

हमारे दिल में क्या है क्या नहीं सब जानता है वो
मगर सब जानकर बनना उसे अनजान होता है।

ख़ुदा कोई नहीं ग़लती हर इक से हो ही जाती है
जो सीखे गलतियों से अस्ल वो इंसान होता है।

गया वो तब ये जाना रौनक -ए – महफ़िल उसी से है।
अगर बस वो नहीं तो शहर-ए-दिल वीरान होता है।

नई मसरूफ़ियत कुछ मिल गई है गालिबन उसको
मेरी जानिब नहीं लौटेगा अब इम्कान होता है।

नयन सब्र-ओ-तहम्मुल से सॅंवरती ज़िंदगी देखो
सुनो इस ला- उबाली- पन से बस नुकसान होता है।

सीमा पाण्डेय ‘नयन’
देवरिया  ( उत्तर प्रदेश )

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