बहक जाने दो | Bahek Jane do
बहक जाने दो
( Bahek jane do )
आखरी वक्त है अब मुझको, बहक जाने दो।
ना खुद को रोको अपनी, महक को आने दो।
ना ये गुनाह कोई, ख्वांहिशों की मंजिल है,
शेर के दिल से दिल मिला लो, धडक जाने दो।
आखिरी वक्त है…
नजर मिली है खुदा से, लबों को मिलने दो।
मेरी पेशानी पे लब रख दो, बातें बढने दो।
सुन लूँ मै धडकने तेरी, करीब इतना आ,
मुझको पहलू में अपने रख लो, चहक जाने दो।
आखिरी वक्त है….
जो मेरे दिल में है वो ही, तुम्हारे दिल में है।
मै हूँ बेचैन मगर बडा, तू तो कसमकश मे है।
छोड दे दुनिया की रस्मों को, मोहब्बत कर ले,
हूंक को छोड दे हुंकार कसक जाने दो।
आखिरी वक्त है…..
बाद में फिर से नही, ऐसी घडी आयेगी।
सूनी महफिल है यहाँ, दोनो की तन्हाई है।
सोचते क्या है मेरी जान, आ लगा ले गले,
साँसो से साँस मिला, जिस्म चटक जाने दो।
आखिरी वक्त है…..
कवि : शेर सिंह हुंकार
देवरिया ( उत्तर प्रदेश )