Barahmasi Pyar
Barahmasi Pyar

बारहमासी प्यार

( Barahmasi pyar )

 

कभी चैत्र- बैसाख की पवित्र गरिमा लिये
कभी गर्म लू सी ज्येष्ठ- आषाढ़ की तपन लिये

कभी सावन-भादों सी छमाछम पावस की बूंदें लिये
कभी त्योहारों सी आश्विन-कार्तिक के मीठे नमकीन लिये

कभी मार्गशीर्ष-पौष की कड़कड़ाती रातों की सर्दी लिये
कभी माघ- फाल्गुन की रंगीन बहारों के रंग औ’ खुश्बू लिये

लगती मुझे तेरी हर बात , हर गुफ्तगू
और हर लफ्ज़ कहकशां की सी चमक लिये हुये

 

लेखिका :- Suneet Sood Grover

अमृतसर ( पंजाब )

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