बारिश के चढ़ल बा पानी | Barish ke Chadhal ba Pani
बारिश के चढ़ल बा पानी !
( Barish ke chadhal ba pani )
अरे रामा! बारिश कै चढ़ल बा पानी,
करत मनमानी ए हरी। ( 2)
गाँव -शहर ऊ नदिया डूबल,
मक्का,अरहर,धान ऊ डूबल।
अरे रामा! देवरा करत छेड़खानी,
चढ़ल बा पानी ए हरी।
अरे रामा! बारिश कै चढ़ल बा पानी,
करत मनमानी ए हरी। ( 2)
कोयल बोले, पपीहा बोले,
बारिश में ऊ कइसे डोले।
अरे रामा! भइल बड़ी परेशानी,
चढ़ल बा पानी ए हरी।
अरे रामा! बारिश कै चढ़ल बा पानी,
करत मनमानी ए हरी। ( 2)
केकर जवानी जग में टिकल,
जे भी चढ़ल ऊ सब उतरल।
अरे रामा! किस्सा ई नाहीं कहानी,
चढ़ल बा पानी ए हरी।
अरे रामा! बारिश कै चढ़ल बा पानी,
करत मनमानी ए हरी। ( 2)
रमई काका कै घर गिर गयल,
सरजू कै गदहा बही गयल।
अरे रामा! बरखा भइल बदगुमानी,
चढ़त बा पानी ए हरी।
अरे रामा! बारिश कै चढ़ल बा पानी,
करत मनमानी ए हरी। ( 2)
लिट्टी -चोखा कइसे बनाईं,
बैंगन, मिर्ची के से मंगाईं।
अरे रामा! बाढ़ भइल बा तूफानी,
चढ़त बा पानी ए हरी।
अरे रामा! बारिश कै चढ़ल बा पानी,
करत मनमानी ए हरी। ( 2)
रैन -अंधेरी ये तड़पाए,
रहि- रहि बिजुरी दिल धड़काए।
अरे रामा! सइयाँ करेला नादानी
चढ़त बा पानी ए हरी।
अरे रामा! बारिश कै चढ़ल बा पानी,
करत मनमानी ए हरी। ( 2)
रामकेश एम.यादव (रायल्टी प्राप्त कवि व लेखक),
मुंबई