भोर की किरण | Kavita
भोर की किरण
( Bhor ki kiran )
भोर की पहली किरण
उर चेतना का भाव है
उषा का उजाला जग में
रवि तेज का प्रभाव है
आशाओं की जोत जगाती
अंधकार हरती जग का
जीने की राह दिखाकर
उजियारा करती मन का
कर्मवीरों की प्रेरणा
हौसलों की उड़ान है
योद्धाओं की कीर्ति
नवशक्ति का संज्ञान है
रग रग में संचार करती
धमनियों का गान है
जोश जज्बा उमंगों का
एक नया सोपान है
पंछियों का मधुर कलरव हो
मंद मंद बहती ठण्डी बयार
कल-कल करती नदियां सारी
गुल से होता गुलशन गुलजार
जागरण जग का कराती
भोर की पहली किरण
उषा आगमन चेतना भर
सुबह का करती वरण
कवि : रमाकांत सोनी
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )