चक्र जो सत्य है

चक्र जो सत्य है

चक्र जो सत्य है कुछ भी अंतिम नहीं होता,न स्पर्श , न प्रकृति और न कविता ,बस दृष्टिकोण बदल जाता हैक्योंकि, चक्र जीवन , पवन , गुरुत्वाकर्षण काअनवरत सहयात्री बन धरा को थामे ,खड़ा है पंच तंत्र के केंद्र पर तन्हा,पूछताक्या मजहब पेड़ , पानी, धरा, पवन , आकाश का ,लिखा है किसी ने बस…

भैय्या दूज

यम द्वितीय ( भैय्या दूज )

यम द्वितीय यम द्वितीया कार्तिक मास के द्वितीया को मानते हैं,यह त्यौहार भाई-बहन के प्रेम-सौंदर्य को दर्शाते हैं।बहन अपना स्नेह भाई के प्रति अभिव्यक्ति करती हैं,ये त्योहार यम द्वितीय और भ्रातदूज कहाते हैं।। बहने अपने भाई के खुशहाली की कामना करती हैं,बहने सुबह-सुबह घर में भैयादूज का पूजन करती हैं।भाई की आयु वृद्धि व सर्व…

Savita Hindi Poetry

सविता जी की कविताएँ | Savita Hindi Poetry

पुरानी तस्वीर कुछ तस्वीरें पुरानी सी है। बीते दिनों की आखिरी निशानी सी है। पुराने होकर भी कुछ किस्से पुराने नहीं लगते। अंजान होकर भी कुछ लोग अनजाने नहीं लगते। यूं तो अक्सर हम आगे बढ़ जाते हैं वक्त के साथ । फिर भी कुछ लम्हे वहीं ठहर जाते हैं अपनों के पास। कभी-कभी लगता…

तेरी शिकायत

तेरी शिकायत | Teri Shikayat

तेरी शिकायत ( Teri Shikayat ) तेरी मेहरबानी का किस्सा सबको सुनाया।अंधा समझ हाथ पकड़ तूने रास्ता दिखाया। अब तो तेरी शिकायत करें भी तो किससे।सबके दिलों में तुझे हमने ही बसाया। तू चाहे अब जितने सितम कर ले इस पर।सहता चल बस यही दिल को समझाया। हर बार दिखाते रहे तुम आईना हरेक को।हर…

गणपत लाल उदय की कविताएं | Ganpat Lal Uday Poetry

गणपत लाल उदय की कविताएं | Ganpat Lal Uday Poetry

सूर्यास्त को भी करें प्रणाम चलों आज हम ढलते हुएं इस सूर्य को करें प्रणाम,साॅंझ हो गई संस्कारों व संस्कृति का करें सम्मान।‌भानु दिनकर भास्कर दिवाकर मार्तंड इसका नाम,समय से आकर बाॅंटता यह सबको ज्ञान-समान।। सम्पूर्ण-विश्व को महकाता ये रखता सबका ध्यान,हाजिरी अपनी रोज़ देता पर ना करता अभिमान।अकेले रहने की हिम्मत भी यह देता…

दिवाली आई

दिवाली पर

दिवाली पर मिष्ठान की तश्तरीअब भरी ही रहती हैरंगोली भरी दहलीज़ भीअब सूनी ही रहती है रामा श्यामा करना हमेंअब बोझ लगने लगाबुजुर्गों का आशीर्वादअब बोर लगने लगा यह काल का प्रभाव है याभविष्य पतन की दिशावर्तमान का झूठा सुख याकल के समाज की दुर्दशा दिवाली महज़ त्यौहार नहींसंस्कृति मिलन का रुप हैजीवन को अचूक…

अनुराग से उजियार

अनुराग से उजियार

अनुराग से उजियार जगमग धरती उजियार , स्नेह दीप है आज lहर कण में दीप सजे , हुवा अंधकार बौना l धन की वर्षा विश्व में , करती चंचल लक्ष्मी lसमय और विवेक की , शिक्षा से झोली भरी l माँ से मेवे – मिटाई , पिता से पटाकी lनभ को चंद्रमा तो , घर…

दीवाली का राम राम

दीवाली का राम राम

दीवाली का राम राम दीवाली के पावन पर्व पर मेरा सबको राम राम,टूटे रिश्ते भी जोड़ देती है अदृश्य इसका काम।नही लगता ख़र्चा इसमे कुछ भी न लगता दाम,दूरियां पल-भर में मिटाती बस करलो प्रणाम।। गले-मिलों वफादार-बनों समाज में बढ़ेगी शान,अमावसी अंधेरा दूर करलो खोलों ऑंख कान।हॅंसता खेलता घर लगता है तभी मन्दिर समान,खील बताशे…

मधुर-मधुर मेरे दीपक जल

मधुर-मधुर मेरे दीपक जल

मधुर-मधुर मेरे दीपक जल नभ,जल और धरित्री का, अंधियारा छट जाएसदैव ऐसे मधुर-मधुर मेरे दीपक जल । पुनि स्नेहिल गंगा पर्वत शिलाओं से निकल जाए,सदैव ऐसे मधुर-मधुर मेरे दीपक जल । कभी भटकाव ना किसी की जिन्दगी में आए,सदैव ऐसे मधुर-मधुर मेरे दीपक जल । सत्य-न्याय की हवा, जल,थल,नभ में फैल जाए,सदैव ऐसे मधुर-मधुर मेरे…

मुझे दिवाली मनानी है

मुझे दिवाली मनानी है

मुझे दिवाली मनानी है आओ ना दिकु, ये दिवाली मुझे तेरे संग सजानी है,तेरी हंसी की रोशनी से हर रात को जगमगानी है। दीप जलें हैं चौखट पर, तेरे स्वागत की आस में,अब बस तेरी महक को साँसों में समेट लानी है। सजाई है रंगोली, जिसमें तेरी छवि उभर आई है,तेरी यादों की खुशबू से…