चक्र जो सत्य है
चक्र जो सत्य है कुछ भी अंतिम नहीं होता,न स्पर्श , न प्रकृति और न कविता ,बस दृष्टिकोण बदल जाता हैक्योंकि, चक्र जीवन , पवन , गुरुत्वाकर्षण काअनवरत सहयात्री बन धरा को थामे ,खड़ा है पंच तंत्र के केंद्र पर तन्हा,पूछताक्या मजहब पेड़ , पानी, धरा, पवन , आकाश का ,लिखा है किसी ने बस…