जलयान

जलयान

जलयान समुद्र के किनारे उस छोर परखड़ा हुआ है एक जलयान…किसी प्रवासी के इंतजार मेंअनुमान है वह प्रवासी वहाँ पहुंचकर वापस लौटकर चला गया है..या अभी वह उस गंतव्य तक पहूँचा ही नहीं है …समंदर के किनारे उस छोर पर खड़ा हुआ है एक जलयान चौहान शुभांगी मगनसिंहलातूर महाराष्ट्र यह भी पढ़ें:-

Adam Gondvi

जनकवि अदम गोंडवी

जनकवि अदम गोंडवी मैं प्रणाम, वंदन,नमन का चंदन आपको बार-बार हर बार करता हूं,स्मृति में रहो आप हमारे और जग के,यही प्रयत्न मैं हर बार करता हूं।मन को झकझोरती आपकी कविता, जग को दिखाई राह सच्चाई लेखनी से,जन कवि अदम गोंडवी जी को मैं साष्टांग दंडवत प्रणाम करता हूं।। गरीबी को बताई सच्चाई लाज तेरी,…

उस चाॅंद ने बहुत तड़पाया

उस चाॅंद ने बहुत तड़पाया

उस चाॅंद ने बहुत तड़पाया आज आसमानी उस चाॅंद ने मुझे बहुत तड़पाया,रोज़ाना जो जल्द आता आज वक्त पर न आया।पाॅंव में पाज़ेब हाथ में चूड़ी ये मेहन्दी मैंने रचाया,ऑंख लगाएं बैठी रही ये इन्तज़ार ख़ूब कराया।। क्यों करते हो हर बार ऐसा करवा चौथ की शाम,भूखी प्यासी रहकर गृहणियां लेती तुम्हारा नाम।बहुत नाज़ुक है…

दूर होकर भी पास

दूर होकर भी पास

दूर होकर भी पास तू दूर है, मगर दिल के पास है,तेरी यादों में हर पल का एहसास है।आँखों में ये आंसू तुझ तक पहुँचने को बेकरार हैं,काश तू सुन सके, मेरी दिल की ये पुकार है। रातों की तन्हाई में तेरा नाम पुकारता हूँ,हर धड़कन में तुझे ही तो महसूस करता हूँ।दूरी चाहे जितनी…

Arth

अर्थ | Arth

अर्थ ( Arth ) अर्थ में ही अर्थ हैअर्थ के बिना सब व्यर्थ है। सत्य साधना या सत्कारसभी के लिए है यह जरूरी,जीवन का आवश्यक यह शर्त हैअर्थ के बिना सब अनर्थ है। सीधे मुॅंह कोई बात नहीं करतानजर रहती सभी की वक्र है,साज सम्मान के लिए यह जरूरीअर्थ नहीं तो यह दुनिया लगती व्यर्थ…

नंदवन के घर आनंद लाल

नंदवन के घर आनंद लाल

नंदवन के घर आनंद लाल दयावान ही चक्रधारी है ,मुरलीवाला ही चमत्कारी है lराधा – कृष्ण – रुक्मणि है ,तरल लीला , कृष्ण लीला lसखी राधा तो सखा सुदामा l मुरली अगर सुरों की लीला ,तो मेघ सजे वर्षा की लीला lउँगली बनी गोवर्धन लीला ,कद्रू पुत्र यमुना कुंड लीला lआलम, मीरा, सुर में भी…

बापू से गुहार | Bapu se Guhar

बापू से गुहार | Bapu se Guhar

बापू से गुहार ( Bapu se guhar ) प्यारे बापू आज अगर तुम इस युग में जिंदा होते।हम जैसे निष्क्रिय लोगों के बीच में तुम जिंदा होते ।देख के सारी चाल कुचालें तुम बापू,निश्चय ही हम सब से तुम शर्मिंदा होते । 1 आओ बापू अब फिर से तुम भारत में आओ।आज के नेताओं को…

एड्रिएन रिच

एड्रिएन रिच की अनुवादित कविता | अनुवादक- दीपक वोहरा

एड्रिएन रिच का जन्म 1929 में बाल्टीमोर, मैरीलैंड, यू.एस.ए. में हुआ था। वह लगभग बीस काव्य संग्रहों की लेखिका हैं और उन्हें एक नारीवादी और क्रांतिकारी कवयित्री कहा जाता है। पेड़ एक बिम्बों से सजी बहुत गहरी सिंबॉलिक कविता है। कवयित्री ने घर, पेड़ और जंगल तीन प्रतीक लिए हैं। घर समाज है, जहां स्त्री…

वाल्ट व्हिटमैन

वाल्ट व्हिटमैन की अनुवादित कविता | अनुवादक- दीपक वोहरा

वाल्ट व्हिटमैन (1819-1892) को अमेरिका के सबसे प्रभावशाली कवियों में से एक माना जाता है। उनका कविता संग्रह, लीव्स ऑफ़ ग्रास, अमेरिकी साहित्य के इतिहास में एक मील का पत्थर है। व्हिटमैन ट्रान्सेंडैंटलिज़्म और यथार्थवाद के बीच संक्रमण का हिस्सा थे, और उनका काम अक्सर अमेरिकी अनुभव और उसके लोकतंत्र की प्रकृति पर केंद्रित होता…

क्या बात हो गई

क्या बात हो गई

क्या बात हो गई तुम रूठ कर चले गए क्या बात हो गई।हम बुलाते रह गए क्या बात हो गई। तुम रात ख्वाब में पैगाम ले कर आए।विन सुनाए बैठे रहे क्या बात हो गई। मुफलिसी का हल ढूंढ़ने में जिंदगी गई।हल निकला ना कोई क्या बात हो गई। मालूम होता तो बताता चौखट को।दरबाजे…