2020, Only Save Life

2020, Only Save Life kavita

2020, Only Save Life     ->हाँ ये साल 2020, सिर्फ जीवन बचाने को है || 1.लाखों बेघर, करोडों रोड पर, बस घर जाने को है | कई ट्रेनों मे, कई बसों मे, कई पैदल ही आने को है |   पांव के छाले चीख रहे, मौतों से मजदूर खौंप मे है | क्या होगा मंज्जर…

?  ऐसा हो संसार जहाँ पर  ?

ऐसा हो संसार जहाँ पर | Sansar kavita

  ऐसा हो संसार जहाँ पर   आओ मिलकर करें कल्पना हम ऐसे संसार की। जहाँ भावना त्याग समर्पण प्रेम और उपकार की।। ऐसा हो संसार जहाँ पर, सब मिलकरके  रहते हो। एक-दूजे को गले लगाकर भाई -भाई कहते हो।। सोच सभी की होनी चाहिए सृष्टि के उद्धार  की। कर्म की पूजा होती हो वहाँ, मेहनत…

नन्ही चिड़िया की सीख | Chidiya poem in Hindi

नन्ही चिड़िया की सीख | Chidiya poem in Hindi

 नन्ही चिड़िया की सीख  ( Nanhi chidiya ki seekh )   नन्ही चिड़िया की सीख….|| 1. नन्ही-मुन्ही,नीली-पीली,लाल-गुलाबी,सतरंगी | चिडिया उडती डाल-डाल पर,पंख फैलाए बहुरंगी | पत्ती-पत्ती,बूटा-बूटा,सब स्वागत उसका करते हैं | नन्ही चिडिया को बैठाकर,दूर थकाबट करते हैं | नन्ही चिड़िया की सीख….|| 2. सौ बार गिरी,सौ बार उठी,पंख फैला चलना सीखा | है खुश…

वो मजदूर है

वो मजदूर है | Mazdoor kavita

 वो मजदूर है ( Wo mazdoor hai : Kavita )   अरे! वो मजदूर हैं इसीलिये तो वो मजबूर हैं उनकी मजबूरी किसी ने न जानी मीलों का सफर तय किया पीकर पानी। पांव में जूते नही छाले पड़ गए थे भारी अमीरो को तो लेने जहाज गए विदेश, उनके लिये तो बसों के भी…

माना कि तुम

माना कि तुम | Love kavita

  माना कि तुम ( Mana ki tum )     माना कि इन हाथों की लकीरों में तुम नहीं….…….. फिर भी मुझमें तुम शामिल हो, लकीरें तो उनके हाथ में भी नहीं होती जिनके हाथ नहीं होते। तुम मुझे हासिल नहीं फिर भी मुझसे तुम दूर तो नहीं हो। इन हाथों की लकीरों में…

समय चुराएं

समय चुराएं | Poonam singh poetry

 समय चुराएं  ( Samay churaye )   आओ … समय से कुछ समय चुराएं शुन्य के सागर में गुम हो जाएं बीती बातों का हिसाब करें आने वाले पलों का इंतज़ार करें भूली यादों को याद करें बीती चाहतों को ताज़ा करें   कुछ बातें इधर की हों कुछ बातें उधर की हों इधर –…

हे सरकार! कुछ तो करो

हे सरकार ! कुछ तो करो | Political kavita

   हे सरकार ! कुछ तो करो  ( Hey sarkar kuch to karo )   हे सरकार! कुछ तो करो क्यूँ छोड़ दिया मरने को सड़कों और पटरियों पर दर-दर की ठोकरें खाने को खाने को तरसने को। हे सरकार! कुछ तो करो क्या बीत रही है उन गर्भवती और नव माताओं पर सड़कों पर…

हम मजबूर हैं

हम मजबूर हैं | Mazdooron ki vyatha par kavita

 हम मजबूर हैं   ( Hum majboor hai )     साहब! हम मजदूर हैं इसीलिए तो मजबूर हैं सिर पर बोझा रख कर खाली पेट,पानी पीकर हजारों मील घर से दूर गोद में बच्चों को लेकर अनजान राहों पर चलने को।   बेबस हैं हम,लाचार हैं हम आए थे काम की तलाश में पर,इस #Lockdown में न…

मुझे आज भी याद है

मुझे आज भी याद है | Prem ras kavita

 मुझे आज भी याद है  ( Mujhe aaj bhi yaad hai )     मुझे आज भी याद है वो कमरा जहाँ…….. आखिरी बार मिले थे हम आज भी गवाह है, वो बिस्तर की चादर वो कम्बल……. जिसमें लिपटे थे हम एक दूसरे की बाहों में।   मुझे आज भी याद है वो कमरा जहां………..

मदर्स डे

मदर्स डे | Mother’s day kavita

   मदर्स डे  ( Mother’s day kavita )   मां अपने बच्चों से रूठती ही कब है बच्चे भले ही रुठ जाएं पर, मां क्या कभी रूठती है?   #मदर्स डे साहब!आजकल कौन मना रहे हैं? वहीं लोग मना रहे हैं जो अपने घर और माँ से दूर रहते हैं जो कई महीनों, सालों तक उनसे…