परिवार का मुकुट

परिवार का मुकुट | Laghu Katha

अनिता ने जीवन में बहुत संघर्ष किया था। उसने व्यवसाय में कड़े संघर्ष के बाद अपने ससुर के व्यवसाय को नयी ऊंचाईयों तक पहुंचाया था। उस का सम्मान समारोह था। समारोह में विविध लोगों ने रिश्तेदारों ने अनिता को सफलता के लिये बधाइयां दी थी। उस के व्यक्तित्व की प्रशंसा की थी। अनिता के ससुर…

अपनापन

समझौता : लघुकथा

शकुन आज बड़े वर्षों में बाद दोस्तों से मिल रही थी। दोस्तों की बहुत ज़िद करने पर ही घर से निकली थी। बच्चों ने भी जबरदस्ती दोस्तों से मिलने भेजा था। आज वर्षों बाद मुस्कुरा रही थी, गुनगुना रही थी, खुश होकर तस्वीरें खिंचवा रही थी। दिन भर मस्ती में गुज़र गया। शकुन ने तो…

Deepak ka Ujala

दीपक का उजाला | Laghu Katha Deepak ka Ujala

गाँव के किनारे एक छोटा-सा स्कूल था। इस स्कूल के शिक्षक, नाम था आचार्य देवदत्त, अपने समय के सबसे विद्वान और सरल हृदय व्यक्ति माने जाते थे। उनकी उम्र लगभग 60 वर्ष हो चुकी थी, लेकिन उन्होंने कभी खुद को रिटायर करने की बात नहीं सोची। उनका मानना था कि सच्चा शिक्षक तब तक शिक्षित…

नाम | Laghu Katha Naam

नाम | Laghu Katha Naam

अमेरिका से आ कर मधु माथुर दिल्ली के ऐयरपोर्ट पर उतरी तो आवश्यक पूर्ति हेतु कस्टम कक्ष में प्रवेश किया । सामान व व्यक्तिगत चैकिंग पूरी होने के बाद महिला अफसर ने कुछ कागजात मधु की ओर बढा दिए । जैसे ही मधु ने उन्हें मेज पर रख हस्ताक्षर करने के लिए रख स्वयं उनके…

मुझको पहचाने 

मुझको पहचाने | Mujhko Pahchane

मुझको पहचाने  ( Mujhko Pahchane ) हवा में ऐसे उड़ाऊँगा अपने अफ़साने ज़माने भर का हरिक शख़्स मुझको पहचाने मिज़ाजे-दिल भी कहाँ तक मेरा कहा माने छलक रहे हैं निगाहों से उसकी पैमाने मुझे सलाम यूँ करते हैं रोज़ रिंदाने बुला बुला के पिलाते हैं मुझको मैख़ाने मैं महवे जाम न होता तो और क्या…

दिल को छूने वाली ग़ज़ल

ख़ुद को शीशे में ढाल के रखना | दिल को छूने वाली ग़ज़ल

ख़ुद को शीशे में ढाल के रखना। ख़ुद को शीशे में ढाल के रखना। अपनी पगड़ी संभाल के रखना। डस न ले तीरगी कहीं तुमको। घर में दीपक उजाल के रखना। सांप इनमें ही छुप के पलते हैं। आस्तीनें संभाल के रखना। हो न ताख़ीर उनको देने में। हाथ पर दिल निकाल के रखना। दोस्त…

पारदर्शी दृष्टि | Laghu Katha Paradarshi Drishti

पारदर्शी दृष्टि | Laghu Katha Paradarshi Drishti

पारदर्शी दृष्टि ( Paradarshi Drishti ) दो मित्र के लिए अपने पसंद की दो राजनीतिक पार्टियांँ हो सकती है, लेकिन मित्रता अपनी जगह पर कायम रहती है, इसमें पार्टियां नहीं आती, आती हैं तो बस मित्रता। इसे कभी भी टूटने नहीं देना चाहिए। लेकिन बहुत कम ही लोग होते हैं जो इस बात को समझते…

अपनापन

अपनापन | Laghu Katha Apnapan

निशा जी को परिचारिका बड़े प्यार से उनके कमरे में बिठाकर उन्हें सब कुछ समझाकर बाहर निकल गई। निशा जी गौर से कमरे को चारों तरफ से देखने लगीं। कुर्सी से उठकर खिड़की के पास आ गई और बाहर देखने लगीं। बाहर बहुत सुंदर फूलों से सजा बगीचा देख उनके होंठों पर मुस्कान तैर गई।…

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कैसे करें गर्व देश पर | Kaise Karen Garv Desh Par

कैसे करें गर्व देश पर ( Kaise Karen Garv Desh Par ) हो कैसे स्वतंत्रता दिवस का अभिमान? हो रहा जब अपने ही देश में, डॉक्टर बेटियों का अपमान! नारा देते बेटी बचाओ,बेटी पढ़ाओ, आत्म निर्भर उनको बनाओ। पढ़ लिख डाक्टर बन जाती, क्या मिल पाता उनको आत्म सम्मान? लोगों की जान बचाने ख़ातिर जन…

धर्मांतरण

धर्मांतरण | Kahani Dharmantaran

अभी सुबह-सुबह का मुश्किल से 7:00 बजे होंगे। महेश मॉर्निंग वॉक से लौटा ही था कि रास्ते में रुमाल लटकाए हुए बड़ी तेजी से गांव का एक व्यक्ति चला जा रहा था। मनीष को देखने के बाद वह थोड़ी और तेजी चलने लगा जिससे आमने-सामने उसकी टकराहट ना हो। फिर भी टकराहट हो गई। उसने…