जमीर | Jameer kavita
जमीर ( Jameer ) गिरा जो अपना 1रुपया तो पश्चाताप बार-बार करते हो, दूसरों का ले हजारों किए हो जो गमन, जरा सोचो उस पर क्या बीती होगी? स्वार्थ का पर्दा लगाए हो जो जमीर में मेरा सच का आइना लो देखो तो जरा, ईमान खुद बोल देगा जमीर बचाओ यारों, किसी का तुम…