हम हुए अस्त

हम हुए अस्त | Hum Huye Ast

हम हुए अस्त  ( Hum Huye Ast )   ” मैं ” की वृत्ति में ” हम” हुए हैं अस्त बड़ा ही शालीन है शब्द हम समझो इसे अपनी जेहन में उतार वरना तू है बेकार धरा हुआ है हम प्रबल दिखा है मै मैं और हम की प्रतिस्पर्धा में पृथ्वी परी है बेसुध प्रकृति…

झरती बुंँदियों  संग आखरों  की जुगलबंदी

झरती बुंँदियों संग आखरों की जुगलबंदी

झरती बुंँदियों संग आखरों की जुगलबंदी…   सावनी सहर का आलम गर्म चाय की प्याली और हम पसंदीदा पुस्तक का साथ नर्म – नम बूंँदों की तुकबंदी ऐसी बंदिश इस उजास में रच देती है सबसे सुहाने पल। आंँगन बुहारती बूँदें आनंद वर्षा में भिगो भावों की तपिश को शीतल कर देती है कि नई…

जीवन एक संगीत | Kavita Jeevan ek Sangeet

जीवन एक संगीत | Kavita Jeevan ek Sangeet

जीवन एक संगीत ( Jeevan ek Sangeet ) प्रकृति की कण-कण में है संगीत। जीवन के हर क्षण क्षण में है संगीत। वर्षा की गिरती बूंदों में संगीत। बादलों की गर्जनों में संगीत। सर सर बहती हवाओं में संगीत। साज और सुरों के बिना सुना है संसार। मधुर स्वर बहती बांसुरी और सितार में संगीत।…

डूबते को तिनके का सहारा

डूबते को तिनके का सहारा | Kavita Doobte ko Tinke ka Sahara

डूबते को तिनके का सहारा ( Doobte ko Tinke ka Sahara ) डूबते को तिनके का कोई सहारा मिल जाए। मंझधार में हमको कोई किनारा मिल जाए। रिश्तो में भी प्रेम भरी कोई रसधारा बह जाए। मुश्किलों की क्या बिसात दर्द सारा ढह जाए। तूफानों में कश्तियों को हौसला मिल जाए। ठान ले इंसान गर…

आओ मिलकर योग करें

आओ मिलकर योग करें | Kavita Aao Milkar Yog Kare

आओ मिलकर योग करें ( Aao Milkar Yog Kare )   आओ मिलकर योग करें। तन मन से रोगों को दूर करें। स्वास्थ्य हमारा अच्छा सब कुछ अच्छा हो। रोग ग्रसित अब नहीं देश का बच्चा हो। सूर्योदय से पहले उठकर खत्म नित्य क्रिया करें। जिसकी निरोगी काया जीवन वही जिया करें। सांसों को भरना…

बहाना | Kavita Bahana

बहाना | Kavita Bahana

बहाना ( Bahana ) पूजा बिन नहाए के, स्वीकार करो नाथ, पानी नहीं आए है, हम धोए पाॅव हाॅथ, पूजा खाए पिए की, स्वीकार करो नाथ, लो वीपी के मरीज हम, चकराए हमरा माथ, पूजा कीर्तन भजन की, स्वीकार करो नाथ, हम अकेले रहते हैं, कोई न हमरे साथ, पूजा मेरे भंडारे की, स्वीकार करो…

एक स्त्री क्या चाहती है

एक स्त्री क्या चाहती है

” जानते हो एक स्त्री क्या चाहती है?” सम्मान और स्वाभिमान के साथ, समाज में सर उठाकर जीना…..। उसकी सहमति से उसके तन मन, पर अपना अधिकार जमाना …..। उसके सम्मान को ना ठेस पहुंचाये , उसे केवल भोग की वस्तु न मानें, उसके अस्तित्व को तार तार न करें…..। वह नहीं चाहती कि उसकी…

सबल- स्वस्थ हो देश

सबल- स्वस्थ हो देश

सबल- स्वस्थ हो देश।।   योग भगाए रोग सब, करता हमें निरोग। तन-मन में हो ताजगी, सुखद बने संयोग।। योग साधना जो करे, भागे उसके भूत। आलस रहते दूर सब, तन रहता मजबूत।। खुश रहते हर पल सदा, जीवन में वो लोग। आत्म और परमात्म का, सदा कराते योग।। योग करें तो रोग सब, भागे…

चाभी

चाभी | Kavita Chabhi

चाभी ( Chabhi ) कौन कहता है ताले नहीं खुलते केन कहता है रास्ते नहीं मिलते चाभी खोजकर तो ज़रा देखिये तहखाने मे उतरकर तो देखिये हर चीज है मुहैया आपकी खातिर हर ताज के सिक्के बरामद होंगे कौन सी राजशाही चाहिए आपको आपके पुरे हर मुराद होंगे कम नहीं कुदरत के खजाने में आपको…

मुझे मिल गयी माँ

मुझे मिल गयी माँ

मुझे मिल गयी माँ किसी को धरती मिली और,किसी को आकाश। मैं तो सबसे छोटा था तो, मुझे मिल गयी माँ। स्याह में भी टिमटिमाती, पूछती हर ख्वाब। शून्य में भी लग रहा था, पूरा था संसार। चमकता उज्जवल सा माथा, और चेहरा लाल। आंखों मे जितना ही ढूंढो, दिखता था बस प्यार। चेहरे की…