Kavita Vasantik Navratri Pancham

चैत्र माह शुक्ल पक्ष नवमी

चैत्र माह शुक्ल पक्ष नवमी रामलला सूर्य अभिषेक,अद्भुत अनुपम विशेष हिंदू धर्म रामनवमी अनूप पर्व , सर्वत्र उमंग हर्ष उल्लास । परिवेश उत्सविक अनुपमा, रज रज राम राग रंग उजास । जनमानस भाव विभोर हर्षल, आध्यात्म ओज मनोरमा अधिशेष। रामलला सूर्य अभिषेक,अद्भुत अनुपम विशेष ।। चैत्र माह शुक्ल पक्ष नवमी, राघव दशरथ अवतरण पर्व ।…

Kavita Laawaris Deh

लावारिस देह | Kavita Laawaris Deh

उसकी बिंदिया ( Uski Bindiya )   उसकी बिंदिया दरवाजे पर झांकती अबोध किरण थी जो तुलसी को सांझ –ढ़ले हर्षा सकती थी कि वह दीपशिखा की तरह झिलमिला रही है . उसकी चूड़ियां दरवाजे पर उठती मासूम आहट थी जो रसोई में से भी साफ सुनी जा सकती थी कि वह चबूतरे पर खिलखिला…

Kavita Yah Mujhko

यह मुझको स्वीकार नहीं | Kavita Yah Mujhko

यह मुझको स्वीकार नहीं ( Yah mujhko swikar nahin )   निज पथ से विचलित हो जाऊं यह   मुझको   स्वीकार    नहीं पहन   बेड़ियां   पग  में  अपने झुकने     को     तैयार    नहीं। देख   नीर  बहती  आंखों  में क्रोध   शीर्ष   चढ़  जाता   है आंख  मूंद   कैसे  सह  जाऊं सहन   नहीं    हो   पाता  है। लुटे   अस्मिता   ठीक   सामने क्या  …

Yuddh ke Dauran Kavita

युद्ध के दौरान कविता | Yuddh ke Dauran Kavita

युद्ध के दौरान कविता ( Yuddh ke Dauran Kavita )   रात के प्रवाह में बहते हुए अक्सर अचेत-सा होता हूं छूना चाहता हूं — दूर तैरती विश्व-शांती की वही पुरानी नाव-देह . अंधेरे और उजाले का छोर पाटती तमाम निर्पेक्षताओं के बावजूद यह रात भी / एक राजनैतिक षड़यंत्र लगती है मुझे . जहां…

Kavita Zindagi ki Daud se

जिंदगी की दौड़ से तुम कब तक भागोगे | Kavita Zindagi ki Daud se

जिंदगी की दौड़ से तुम कब तक भागोगे   जिंदगी की दौड़ से तुम कब तक भागोगे जगा रहा हूँ सोने वाले कब तक जागोगे। छिनी जा रही है तुम्हारी थाली की रोटियांँ जीने के लिए अधिकार कब तक मांगोगे। अधिकार मांगने से नहीं लड़ने से मिलेंगे फटे – चिथड़े में पेबंद कब तक तांगोगे।…

Kavita Tab Tum

तब तुम कविता बन जाती हो | Kavita Tab Tum

तब तुम कविता बन जाती हो ( Tab tum kavita ban jati ho )   झरनें की कल कल में, खग चहके जल थल में, सूर्य किरण तेज़ फैलाये पवन भीनी सुगंध बहाये जब प्रकृति सुंदरता बिखराती हो, तब तुम कविता बन जाती हो । कलम के सहारे, मेरे दिल पात्र में उतर आती हो…

2623 वां महावीर जन्म कल्याणक दिवस

2623 वां महावीर जन्म कल्याणक दिवस

2623 वां महावीर जन्म कल्याणक दिवस   भगवान महावीर का ध्यान धरे । सुप्त चेतना को जगाये । आत्मा की उज्जवलता को पाये । भगवान महावीर का ध्यान धरे । अब भोर भई उठ जाग जाये । क्यों आँख मूंदकर सोये । आया है यह शुभ दिन । क्यों वक्त कीमती हम खोये । भगवान…

Ramakant Soni Hindi Poetry

रमाकांत सोनी की कविताएं | Ramakant Soni Hindi Poetry

कभी-कभी हम हारे हैं हारकर भी जीते हम, रिश्तो की तकरार में।कभी-कभी हम हारे हैं, जानम तेरे प्यार में‌। कोई रूठा कोई टूटा, मुंह फिराकर चल दिया।कोई दिखा बेरुखी सी, दर्दे दिल हमको दिया।अपने बेगाने होकर, अपनापन को छोड़ चले।खून का रिश्ता पुराना, अपने रिश्ता तोड़ चले।हमने भी प्रेम कमाया है, रिश्तो के बाजार में।कभी-कभी…

महेन्द्र कुमार

महेन्द्र कुमार की कविताएं | Mahendra Kumar Hindi Poetry

अगहन की ठिठुराई में, कान्हा की आशनाई सनातन धर्म द्वादश मास,अद्भुत अनूप पावन महत्ता ।अंतर्निहित मांगलिक प्रभा,दिग्दर्शन सेतु परम सत्ता ।मगसर माह दिव्यता अथाह,रोम रोम अनुभूत कन्हाई ।अगहन की ठिठुराई में, कान्हा की आशनाई ।। जनमानस हर्षित गर्वित ,नदी सरोवर पावन स्नान ।श्री कृष्ण उपासना आह्लाद,सर्वत्र जप तप ज्ञान ध्यान ।प्रेरणा बिंब सुख समृद्धि पथ,हर…

Kavita Wah Aadmi

वह आदमी | Kavita Wah Aadmi

वह आदमी ( Wah Aadmi )   वह आदमी दो कमरों के मकान में बड़ा खुश था कि अन्ना – आन्दोलन ने उसे राजनीति के कच्चे शीशे में जड़ा सपना दिखा दिया . वह आदमी सब पर आरोप मढ़ा हुआ जा बैठा महत्वाकांक्षा के औंधे शिखर पर . वह आदमी चुंकि आम आदमी था लोगों…