आँखों में बसी हुई चाँदनी सी | Laghu Katha

आँखों में बसी हुई चाँदनी सी | Laghu Katha

स्कूल की जिंदगी की कहानी कुछ और होती है, कुछ कहानी दूर तक सफर तय करती है तो कुछ सिमट कर वहीं की वहीं रह जाती है अपने आप में। किंतु दूर की करती कहानी अपनी अलग पहचान छोड़ जाती है। शेखर ने हाई स्कूल में दाखिला लिया तो क्लास नौ से दस तक जाते-जाते…

पिता जी के हाथ के निशान

पिता जी के हाथ के निशान

पिता जी बूढ़े हो गए थे और चलते समय दीवार का सहारा लेते थे। नतीजतन, दीवारें जहाँ भी छूती थीं, वहाँ रंग उड़ जाता था और दीवारों पर उनके उंगलियों के निशान पड़ जाते थे। मेरी पत्नी यह देखती और अक्सर गंदी दिखने वाली दीवारों के बारे में शिकायत करती। एक दिन, उन्हें सिरदर्द हो…

अपनापन

अपनापन | Apnapan

निशा जी को परिचारिका बड़े प्यार से उनके कमरे में बिठाकर उन्हें सब कुछ समझाकर बाहर निकल गई। निशा जी गौर से कमरे को चारों तरफ से देखने लगीं। कुर्सी से उठकर खिड़की के पास आ गई और बाहर देखने लगीं। बाहर बहुत सुंदर फूलों से सजा बगीचा देख उनके होंठों पर मुस्कान तैर गई।…

बारिश | Baarish

बारिश | Baarish

मुझे याद है वो बारिश का पानी और उसके साथ की कहानी उस दिन सुबह से ही बादल गड़गड़ा रहे थे। हम सब कल्लू चाचा के घर भागवत भंडारे मे जाने को तैयार हो रहे थे। सबने नये कपड़े पहने थे मगर मैने पुरानी कमीज ही पहन रखी थी क्योंकी कल मुझे मेरे दोस्त के…

मेरी यह कहानी है जरा हट के, नाम रखे हैं बड़े सोच समझ के

मेरी यह कहानी है जरा हट के, नाम रखे हैं बड़े सोच समझ के

प्रस्तुत कहानी पूर्ण रूप से काल्पनिक है। इसका किसी भी तरह का किसी से कोई भी संबंध नहीं है। विद्युत उपकरण कंपनी के नाम का इस्तेमाल करके लेखक ने यह कहानी लिखी है। यदि कोई नाम या घटना किसी से मिलती है तो इसे मात्र संयोग समझा जाए। “मेरी यह कहानी है जरा हट के,…

कैमरा एक्शन और खुशी

कैमरा एक्शन और खुशी

आज खुशी का मन बहुत उदास था! जैसे मानो सब कुछ उजड़ गया। क्योंकि आज उसको पता चला कि उसका फ्रेंड्स अकाउंट जिस पर वह दिन रात चैटिंग करती हैं वह अचानक से हैक कर लिया गया और संबंधित अकाउंट भी खुल नहीं रहे। समझो कि उसके पैरों तले जमीन निकल गई जैसे किसी ने…

धर्म एक स्मार्ट बिजनेस | Kahani Dharm ek Smart Business

धर्म एक स्मार्ट बिजनेस | Kahani Dharm ek Smart Business

सुधीर जो भी काम करता अक्सर उसमें असफल हो जाता। किसी प्रकार से उसका घर चल पा रहा था। उसे कुछ सूझ नहीं रहा था कि क्या करें ? उसने एक दुकान कपड़ों की खोला लेकिन वह भी बंद करनी पड़ी। उसके पिताजी कुछ झाड़ फूंक किया करते थे। बचपन में वह उन्हें ऐसा करते…

इंसाफ  | Laghu Katha Insaaf

इंसाफ | Laghu Katha Insaaf

“आप कहते हैं कि हम अपने इलाके के बड़े जमींदार में से आते हैं, कहाँ तक सच हैॽ” जज ने रामबदन सिंह से पूछा। “लोगों की सांस तक कहती हैं।” रामबदन सिंह ने अपनी मूंछें ऐंठते हुए कहा। “इसका मतलब यह कि आप लोगों में अपना दहशत बनाए रखते हैं और किसी को अपनी मर्जी…

Laghu Katha Pramanikta

प्रामाणिकता | Laghu Katha Pramanikta

रेल छोटे से रेलवे स्टेशन पर ठहरी. रामू ने चायवाले से चाय ली. चायवाले को २०० ₹ की नोट दी। चायवाला बाकी रकम गिनकर वापस करे। उस से पहले ट्रेन रवाना हो गयी। ट्रेन के रवाना होते ही पास बैठी मेरी पत्नी मेरे पर झल्लाने लगी की आप से एक काम ढंग से नहीं होता।…

कुंअरा बाप | Laghu Katha Kunwara Baap

कुंअरा बाप | Laghu Katha Kunwara Baap

बैड पर पड़ा लगभग दो महीना का बच्चा लेटा जोर जोर से रो रहा था और रसोई में विपुल उसके लिए दूध की बोतल तैयार कर रहा था साथ ही अपनी कमीज की बाह से बींच बीच में आँखे पौछ रहा था। बोतल तैयार करके वह बैड पर आया और गोद में उठा उसके मुँह…