जो यहाँ | Ghazal Jo Yahan

जो यहाँ | Ghazal Jo Yahan

जो यहाँ ( Jo Yahan ) हमनशीं हमनवा दिलदार हुआ करते थे इश्क़ के वो भी तलबगार हुआ करते थे लूट लेते थे वो पल भर में ही सारी महफ़िल शेर ग़ज़लों के असरदार हुआ करते थे चंद सिक्को में ये अख़बार भी बिक जाते अब जो कभी सच के तरफ़दार हुआ करते थे सबको…

हुज़ूर आपका

हुज़ूर आपका | Ghazal Huzoor Aapka

हुज़ूर आपका ( Huzoor Aapka ) हुज़ूर आपका अंदाज़ क्या निराला है नज़र मिला के ही बस हमको मार डाला है बदल रहे हैं जो मौक़े पे अपने चेहरे को उन्हीं का आज ज़माने में बोलबाला है ज़माना इसलिए पढ़ता है शौक से हमको ग़ज़ल में रंग मुहब्बत का हमने ढाला है लगे न चोट…

हमारा वतन | Ghazal Hamara Watan

हमारा वतन | Ghazal Hamara Watan

हमारा वतन ( Hamara Watan ) बहुत खूबसूरत हमारा वतन हमें जान से भी है प्यारा वतन हमें याद रखनी शहादत सभी लहू दे के सबने सँवारा वतन नज़र कोई बद डाल सकता नहीं है आँखों का सबकी ये तारा वतन सभी मज़हबों को यहाँ चैन है जगत भर में है अपना न्यारा वतन है…

सावन में

खुमार सावन का | Ghazal Khumaar Sawan ka

खुमार सावन का ( Khumaar Sawan ka ) बीता मौसम हज़ार सावन का आप बिन क्या शुमार सावन का बात बनती नज़र नही आती है अधूरा जो प्यार सावन का इक नज़र देख लूँ अगर तुमको । तब ही आये करार सावन का वो न आयेगा पास में मेरे क्यों करूँ इंतज़ार सावन का आप…

ओ सितमगर तू भी | Ghazal O Sitamgar

ओ सितमगर तू भी | Ghazal O Sitamgar

ओ सितमगर तू भी ( O Sitamgar tu Bhi ) शह्र वीरान भी दहशत की गवाही देंगे ढ़ेर बारूद के दुनिया को तबाही देंगे शब अमावस की न हम तुमको सियाही देंगे हम तुम्हें जाने अदा सिर्फ़ वफ़ा ही देंगे टूट जाये मेरा ये जाम भी परवाह नहीं मेरे हाथों में तो मयख़ार सुराही देंगे…

रहते हैं ज़मीरों को

रहते हैं ज़मीरों को | Ghazal Rahte Hain

रहते हैं ज़मीरों को ( Rahte Hain Zameeron ko )  रहते हैं ज़मीरों को यहाँ बेचने वाले दुश्मन ने यही सोच के कुछ जाल हैं डाले बेटे ही जहाँ माँ का गला नोच रहे हों उस घर की मुसीबत को तो भगवान ही टाले दुश्मन है इसी बात पे हैरान अभी तक हम से कभी…

Meri Ghazal

हर लम्हा है हसीन | Ghazal Har Lamha

मेरी ग़ज़ल ( Meri Ghazal ) मिलती सभी से मेरी ग़ज़ल दिलकशी के साथ शीरीं ज़ुबां है उसकी बड़ी चासनी के साथ हम जीते ज़िंदगी को हैं दरियादिली के साथ हर लम्हा है हसीन फ़क़त मैकशी के साथ बातें करेंगे वस्ल की और इंतिज़ार की इक़रार-ए-इश्क़ की सदा संजीदगी के साथ बीती सुख़नवरी में ही…

Zaidi

“जैदि” की ग़ज़ले | Zaidi ki Ghazlein

तुझ को न पाया होता ( Tujhko na paya hota ) बेकार थी हयात हमारी तुझ को न पाया होता, गर तुम न मिलती मुझको तो वक्त जाया होता। ========================== बेख़बर सा था अनजान सी गलियों से तुम्हारी, फंसता जाल में न तुम्हारे, गर न सताया होता। ========================== पगली रातों को तुमने,खुद को यूँ क्यों…

उसकी आवाज़  | Ghazal Uski Awaaz

उसकी आवाज़ | Ghazal Uski Awaaz

उसकी आवाज़ ( Ghazal Uski Awaaz ) दिल को राह़त सी दिखाई दी है। उसकी आवाज़ सुनाई दी है। कौन कहता है कमाई दी है। उसने बस नाज़ उठाई दी है। उसके बातिन में यही है शायद। उसने जब दी है बुराई दी है। मेरे बारे में तुम्हें उसने फिर। जो ख़बर दी है हवाई…

अब हम

अब हम | Ghazal Ab Hum

अब हम ( Ab Hum ) पहले अपनी इ़नान देखेंगे। फिर जहाँ का गुमान देखेंगे। सीख लें ढंग जंग के फिर हम। सबके तीर-ओ-कमान देखेंगे। पर हमारे तराशने वालो। हम तुम्हारी उड़ान देखेंगे। यह करिशमा दिखाएंगे अब हम। सर झुका कर जहान देखेंगे। हम तो कुछ कर नहीं सके लेकिन। अब तुम्हारा ज़मान देखेंगे। रंग…