Ghazal Majboor

मज़बूर | Ghazal Majboor

मज़बूर ( Majboor ) जिस्म से तो नहीं, सोच से मा’ज़ूर हुए हम, आख़िर नफ्स के आगे क्यों मज़बूर हुए हम, इन दुनियावी आसाईशों से, यूँ मुतासिर हुए, कि…..अपने रब्बे-इलाही से ही दूर हुए हम, आख़िर क्यों ख़ुशियाँ दस्तक देगी दर पे मेरे, कि..खुद ही ग़मों के अंधेरे से बे-नूर हुए हम, रोज़ शाम से…

Ghazal Yoon Nahi

यूँ नहीं ये दिल दुखाना चाहिए | Ghazal Yoon Nahi

यूँ नहीं ये दिल दुखाना चाहिए ( Yoon nahi ye dil dukhana chahiye )   यूँ नहीं ये दिल दुखाना चाहिए अब बुलाया है तो आना चाहिए आज सबको नफ़रतों के दौर में प्यार का मतलब बताना चाहिए जो घरों से दूर पंछी आ गए अब उन्हें तो लौट जाना चाहिए दोस्ती करने से पहले…

Ghazal Saath ke Pal

साथ के पल | Ghazal Saath ke Pal

साथ के पल ( Saath ke Pal )   आज भी याद है तुमसे पहली मुलाकात के पल, कितने ख़ूबसूरत थे, वो मेरे तुम्हारे साथ के पल, थका-हारा जब लौटा करता था आशियाने पे मैं, तुम्हारी मासूम मुस्कुराहट भूला देती दर्द के पल, मेरे दिल की शहज़ादी तेरा दामन भर दूँ फूलों से, लम्हा-लम्हा करवट…

Ghazal Ishq Vishk

इश्क विश्क प्यार व्यार | Ghazal Ishq Vishk

इश्क विश्क प्यार व्यार (Ishq Vishk Pyaar Vyaar)   इश्क विश्क प्यार व्यार सब बेकार बातें है, मिलना जुलना कुछ वक्त की मुलाकातें है ! पानी के बुलबुले सी है चांदनी कुछ पल की, उसके बाद सिर्फ तन्हा स्याह काली रातें है ! अपने-अपने स्वार्थ से जुड़ते है सब यहां पर, मतलबी लोग, झूठे दुनिया…

Ghazal Pagdandiya

पगडंडियाँ | Ghazal Pagdandiya

पगडंडियाँ ( Pagdandiya )   जिनके पांव जिंदगी के पगडंडियों पर नहीं चलते राहें राजमहल का ख्वाब सब्जबाग जैसा उन्हें दिखता जिनके सपने धरा की धूलों को नहीं फांकते साकार नामुमकिन सा उन्हें हो जाता है जिन्दगानी में समर की इबारत न लिखी जरा सुहाने सफर की कल्पना थोती रह जाती है मुस्कान की अरमान…

सियासत के इस दौर में तो पलटूओं की भीड़ है

सियासत के इस दौर में तो पलटूओं की भीड़ है

सियासत के इस दौर में तो पलटूओं की भीड़ है   कैसे मेरा दिल कह दे कि जंगजूओं की भीड़ है, सियासत के इस दौर में तो पलटूओं की भीड़ है। घुट रहा है दम सभी का, नफ़रतों के धुएं में, कह रहा है राजा फिर भी, खुशबूओं की भीड़ है। एक बाज़ीगर जो आ…

Ghazal Kya Lena

क्या लेना | Ghazal Kya Lena

क्या लेना ( Kya Lena )   है रौशनी तो मुझे तीरगी से क्या लेना चमक यूँ क़ल्ब में है चाँदनी से क्या लेना हर एक तौर निभाता हूँ दोस्ती सबसे मुझे जहाँ में कभी दुश्मनी से क्या लेना बुझा न पाये कभी तिश्नगी मेरे दिल की तो अब भला मुझे ऐसी नदी से क्या…

Ghazal Bahu

बहू निकली है पुखराज | Ghazal Bahu

बहू निकली है पुखराज ( Bahu Nikli Hai Pukhraj ) बज उठ्ठेगी घर -घर में फिर सबके ही शहनाई उधड़े रिश्तों की कर लें गर हम मिलकर तुरपाई जीत लिया है मन सबका उसने अपनी बातों से मेरे बेटे की दुल्हन इस घर में जब से आई घर में बहू की मर्ज़ी के बिन पत्ता…

Ghzal Sanam Tum

सनम तुम | Ghzal Sanam Tum

सनम तुम ( Sanam Tum )   मात्रा भार: १२२२ – १२२२ – १२२२ सनम तुम इक दफ़ा नजरें मिला लेना, झुकाकर यह नज़र, फिर से उठा लेना ! जो चाहो तुम मेरी हसरत कभी रखना हसीं मुख से ज़रा परदा हटा लेना ! छुआ है दिल तुम्हारी इन अदाओं ने, उठाकर तुम न ये…

Ghazal Aasan Nahi Hota

आसां नहीं होता | Ghazal Aasan Nahi Hota

आसां नहीं होता ( Aasan Nahi Hota )   बज़ाहिर लग रहा आसां मगर आसां नहीं होता बहुत दुश्वार उल्फ़त का सफ़र आसां नहीं होता। ज़मीं एहसास की बंजर अगर इक बार हो जाये लगाना फिर मुहब्बत का शजर आसां नहीं होता। सुनो अहदे वफ़ा करना अलामत इश्क़ की लेकिन निभाना अहद यारों उम्र भर…