वो नहीं ज़िद ठानता | Zid Shayari
वो नहीं ज़िद ठानता ( Wo nahi zid thanta ) वो नहीं ज़िद ठानता तो मुख़्तलिफ हालात होते इस चमन में ग़ुल भी खिलता महकते लम्हात होते। अब बहुत ही मुख़्तसर सी गुफ़्तगू होती हमारी दिन हुए कुछ इस तरह रस्म़न ज़रा सी बात होते। जीतने की थी हमें आदत मगर अब हाल है…