
ज़िन्दगी खत्म हुई
( Zindagi khatam hui )
जिंदगी खत्म हुई उन्हें पुकारते हुए
उनको जीतते हुए हमको हारते हुए
क़ौल वो क़रार जो उन्हें तो याद भी नहीं
बस उसी क़रार पर उमर गुज़ारते हुए ।
चार दिन के प्यार का चढ़ा हुआ जो कर्ज़ था
हाथ कुछ बचा नहीं उसे उतारते हुए।
तोड़ दायरे सभी भरें नई उड़ान अब
दिन बहुत गुजर गए हैं मन को मारते हुए।
सोच रहे हैं नयन कभी तो आएंगे सजन
टकटकी लगाके राह को निहारते हुए।
सीमा पाण्डेय ‘नयन’
देवरिया ( उत्तर प्रदेश )
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