ढलती रात | Dhalti Raat
ढलती रात ( Dhalti raat ) ढलती रात हुई अंधियारी, साहिब जी ना आए। धक-धक धड़के जिया हमारा, मन मेरा घबराए। सनम कहो रात कहां बिताए हाथों में मेहंदी रचके गौरी, कर कर सोलह सिंगार। कब आएंगे प्राण प्यारे, करती प्रियतम का इंतजार। ज्यों ज्यों रात बढ़े निशा, पून सन सन करती जाए। रस्ता…