तुम वर्तमान
तुम वर्तमान तुम वर्तमान के पृष्ठों पर ,पढ़ लो जीवन का समाचार ।क्या पता कौन से द्वारे से ,आ जाये घर में अंधकार।। आशा की किरणें लौट गयीं ,बैठी हैं रूठी इच्छायेंप्रात: से आकर पसर गईं ,आँगन में कितनी संध्यायेंइन हानि लाभ की ऋतुओं में, तुम रहो सदा ही होशियार ।।तुम वर्तमान—– चल पड़ो श्रमिक…










