तुम वर्तमान

तुम वर्तमान

तुम वर्तमान तुम वर्तमान के पृष्ठों पर ,पढ़ लो जीवन का समाचार ।क्या पता कौन से द्वारे से ,आ जाये घर में अंधकार।। आशा की किरणें लौट गयीं ,बैठी हैं रूठी इच्छायेंप्रात: से आकर पसर गईं ,आँगन में कितनी संध्यायेंइन हानि लाभ की ऋतुओं में, तुम रहो सदा ही होशियार ।।तुम वर्तमान—– चल पड़ो श्रमिक…

हलाहल का प्याला

हलाहल का प्याला

हलाहल का प्याला कुछ मन को इतना किया किसी ने मतवालापी गये सैकड़ों बार हलाहल का प्याला | हर डगर मोड क्या पग-पग पर था अंधियाराथा कहीं क्षितिज से दूर भाग्य का हरकाराहमने संघर्षो में कर्तव्यों को पाला ।कुछ मन को इतना किया किसी ने मतवालापी गये सैकड़ों बार हलाहल का प्याला |। अब आदि-अन्त…

हिंदी का गुणगान करें

हिंदी का गुणगान करें

हिंदी का गुणगान करें पंक्ति-नीर क्षीर कर ग्रहे सार को, शुचि हिंदी का गुणगान करें। भारत माता के भाल बिंदी,अब एक नवीन मुस्कान भरे।नीर क्षीर कर ग्रहे सार को, शुचि हिंदी का गुणगान करें। ताल सुरों का संगम इसमें, बहे रस छंद की धारा है।सात सुरों से शोभती हिंदी, संगीत इसने निखारा है।आओ हम सब…

अखिल विश्व में

अखिल विश्व में

अखिल विश्व में अखिल विश्व में ऐसा मौसम ,फूले और फले ।पुरवाई से पछियाओ भी ,खुलकर मिले गले।। छोटे और बड़े का कोई ,कभी न दम्भ भरे ।एक दूसरे के भावों का ,आदर हुआ करे ।मानवता का दीप क्षितिज पर ,जगमग सदा जले ।।अखिल विश्व में —– कोयल कुहके महके अमुआ ,बजे नित मल्हार ।शब्दों…

माया का बंधन

माया का बंधन | Maya ka Bandhan

माया का बंधन माया का बंधन हमको छलताप्रेम फिर भी मन में पलतायह राज न जाने कोई ।मां का बंधन सबको प्यारासारा जग यह जानता ।प्रेम माँ का होता निश्छलसारा जग यह मानता ।भूखे रहकर खाना देतीसहती रहती कुछ न कहतीयह राज न जाने कोई ।कई रूप होते बंधनो केबुझना होता कठिन ।जन्म देना सरल…

श्याम रंग नीला है या काला

दरस दिखाओ मेरे कान्हा

दरस दिखाओ मेरे कान्हा दरस दिखाओ मेरे कान्हा, छेड़ो तुम मुरली की तान।हिया बावरा तुमको चाहे, जागे कितने हैं अरमान।। तेरी जोगन तुझसे पूछे,तेरा उर है क्यों पाषाण?पथ में कंटक और अंधेरा, लगता राह नहीं आसान।।द्वार निहारूं कब आओगे, सुनो सांवरे दे दो भानदरस दिखाओ मेरे कान्हा, छेड़ो अब मुरली की तान।। भोर मनोरम साँझ…

तेरी यादों के

तेरी यादों के | Teri Yaadon Ke

तेरी यादों के ( Teri Yaadon Ke ) तेरी यादों के मेघों से ,हर निशा दिवस ही मंगल है ।जो सीच रहा मन-मरुथल को ,वो मेघ सलिल गंगाजल है।। वर्षों से बरखा रूठ गई ,इस मुरझाई फुलवारी से।अब नील गगन को ताक रहे, मन मारे किस लाचारी से ।कब भाग्य विधाता रीझ सके ,उच्छवासों की…

मंदाकिनी बहने लगे

मंदाकिनी बहने लगे

मंदाकिनी बहने लगे तार वीणा के छिड़े तो , बस एक स्वर कहने लगे ।छेड़ ऐसी रागिनी दो , मंदाकिनी बहने लगे । गूँजती हैं फिर निरंतर , वेद मंत्रों की ऋचाएं ।अग्नि कुंडों में कहाँ तक, प्यार की समिधा जलाएं ।हम अमा की पालकी में , पूर्णिमा कितनी बिठाएं ।क्यों अकेले ही विरह की…

वो रोज दुनिया की

वो रोज दुनिया की चौखट पे बिकता है !

वो रोज दुनिया की चौखट पे बिकता है ! न हिन्दू दिखता है न मुस्लिम दिखता हैवो जो रोटी के लिये लड़ता हुआ आदमी हैवो रोज दुनिया की चौखट पे बिकता है ! अपने काम से अपने राम सेनिशदिन पड़ता है जिसका वास्ताअपनी रोजी से अपने रोज़े सेअलहदा नहीं है जिसका रास्ताउसकी आदत कोउसकी चाहत…

seema

जलाना एक दीपक

जलाना एक दीपक ( माधव मालती छंदाधारित गीत ) देहरी पर आज अंतस के जलाना एक दीपकफेर कूची द्वेष पर तुम जगमगाना एक दीपक। घर तुम्हारा रौशनी से झिलमिलाता ठीक है येपर्व खुशियों के मनाता गीत गाता ठीक है येद्वार अंधेरा पड़ोसी का अगर है व्यर्थ है सबसामने कोई विकल तो हर्ष का कुछ अर्थ…