थोड़ा सा | Geet Thoda Sa
थोड़ा सा ( Thoda Sa ) थोड़ा सा अखबार पढ़ा फिर , बैठ गया तह करके . जो भी मुँह में आया मुखिया , चला गया कह करके . बाएँ – दाएँ देखा उसने , हँसी खोखली हँसकर . निकल गई ज्यों कील जिगर से, कुछ अंदर तक धँसकर . मुख पर थोड़ा दर्द न…
थोड़ा सा ( Thoda Sa ) थोड़ा सा अखबार पढ़ा फिर , बैठ गया तह करके . जो भी मुँह में आया मुखिया , चला गया कह करके . बाएँ – दाएँ देखा उसने , हँसी खोखली हँसकर . निकल गई ज्यों कील जिगर से, कुछ अंदर तक धँसकर . मुख पर थोड़ा दर्द न…
लगा आज ( Laga Aaj ) लगा आज हँसने का दिन हैै , उसके मन बसने का दिन है . निकल गए जो बच राहों से , फिसल गए बहकी बाहों से . वे लम्हे कसने का दिन है . पड़ी चमेली अब ये झुलसी , तुलसी भी अब लगती हुलसी . गर्मी में चसने…
मुह़ब्बत ( Muhabbat ) न हीरों की खानें,न पन्नों के पर्बत। मुह़ब्बत से बढ़ कर नहीं कोई दौलत। बिना इसके कुछ भी नहीं ज़िन्दगी में। न हो यह तो क्या लुत्फ़ है बन्दगी में। यही चैन देती है हर इक नज़र को। इसी से चमकती है इन्सां की क़िस्मत। मुह़ब्बत से बढ़कर नहीं कोई दौलत।…
देख लिया ( Dekh Liya ) अन्तस लहरों में ज्वार उमड़ता देख लिया। उनकी आँखों में प्यार छलकता देख लिया ।। कैसी सुगंध यह फैल रही उर-उपवन में। जब खिला सरोवर में कोई जलजात नहीं। किसने इस मन को बाँध लिया सम्मोहन में। साँसें महकीं या प्राण जले कुछ ज्ञात नहीं । अब डोल रहा…
सावन आया तू भी आ जा ( Sawan aaya tu bhi aaja ) सावन आया तू भी आ जा। मेरे मन की प्यास बुझा जा। कैसी ह़ालत है क्या बोलूं। तू जो बोले तो लब खोलूं। पल भर मेरे पास में आ कर। मेरी सुन जा अपनी सुना जा। सावन आया तू भी आ जा।…
आजादी के दीवानों का ( Azadi ke Diwano ka ) आजादी के दीवानों का , आज देख लो मेला । एक हाथ में लिए तिरंगा , बढ़ता जाये ठेला ।। आजादी के दीवानों का… जिनके पैरो से चलकर कल , घर आजादी आई । याद करूँ उन वीर पुरुष को , जिसने हमें दिलाई ।।…
राम ही राम सब ( Ram hi Ram Sab ) राम ही राम सब नित्य रटते रहे । राम सबके हृदय नित्य बसते रहे ।। राम ही राम सब … राम से कौन है देख जग में बड़ा । कौन सम्मुख उनके हुआ है खड़ा ।। आज विपदा वही हर भगत की हरे । आज…
मन की अपनी बात लिखूँ बह मत जाये अब यह काज़ल , आँखों की बरसात लिखूँ । सावन आया प्रियतम आजा , दिल की अपनी बात लिखूँ ।। बह मत जाये अब यह काज़ल … तब डालूँ विरवा में झूला , संग तुम्हारे जब झूलूँ । पाकर पास तुम्हें प्रियतम जब ,गदगद होकर मैं फूलूँ…
आशा की काँवड़ ( Asha ki Kavad ) चढ़ी रही आशा की काँवड़ , झुके हुए इन कंधों पर . हरियाली कुर्बान रही बस, कुछ सावन के अंधों पर . पाँवों को पथरीले पथ ने , दिए सदा मारक छाले . क्रूर काल ने क्षुधित उदर को , भी , गिनकर दिए निवाले . फूलों…
दो पीढ़ी का मिलन ( Do Pidhi ka Milan ) जमाने को समझो चलो उसके संग। नई पुरानी पीढ़ी का हो जायेगा मिलन। अपनी पुरानी बातें न छोड़ो तुम। तो ही जीवन में तुम्हें मिलेगा सुकून। रखो ख्याल दोनों मान सम्मान का। यही मूल मंत्र है जीवन को जीने का।। जमाने को समझो चलो उसके…