महेन्द्र सिंह प्रखर के दोहे | Mahendra Singh Prakhar ke Dohe
महेन्द्र सिंह प्रखर के दोहे ( 3 ) रूठ गई हैं राधिका, कृष्ण करें मनुहार । लगा रहे हैं केश में , वो फूलों का हार ।। यमुना तट पर बैठकर , रचा रहे हैं रास । आ बैठी हैं राधिका , देखो उनके पास ।। अब तक जिनके प्रेम का , प्रकृति देखती बाट…