न कर फरियाद दुनिया से
न कर फरियाद दुनिया से न कर फरियाद दुनिया से सहारे भी नहीं मिलते। कभी मझधार में आकर किनारे भी नहीं मिलते।। गुलो-गुलजार की पहले सी वो रौनक कहां है अब ? यूं मौसम ए ख़िजां में अब बहारें भी नहीं मिलते ।। यहां जीवन सभी का ही हमें वीरां बहुत लगता।…