चाय की चुस्की | Chai ki Chuski
चाय की चुस्की
( Chai ki Chuski )
Love mindfulness on cup of tea
तेरी एक चुस्की पर मैं
सदा कुर्बान जाती हूँ
अदरक , लौंग,
इलायची,दालचीनी
हो न हो
चीनी कैसी भी, मगर
दूध बिल्कुल कम हो तो
वारी वारी जाती हूँ
कुछ साथ हो न हो
अकेले में ‘ तू’ मुझको
ज्यादा भाती हो
एकाकी मेरी की तुम साँझी हो
तुझे पाने की चाह में, रात क्या दिन,
गरमी, सरदी भी भूल
प्याले तेरे को सरेआम लिपट जाती हूँ…
लेखिका :- Suneet Sood Grover
अमृतसर ( पंजाब )