छंद

साथी | छंद

साथी

( Sathi )

मनहरण घनाक्षरी

 

वृंदावन सा हृदय,
गोकुल सा मन मेरा।
बजे बंशी मोहन की,
झूम झूम गाइये।

आंधी तूफां मुश्किलों का,
सुख सागर हो जाना।
मन भाती प्रीत साथी,
मनमीत आइए।

महका मधुमास सा,
प्यार के मोती लुटाता।
तेरा मेरा प्रेम सच्चा,
रस बरसाइये।

सद्भाव प्रेम आनंद से,
तय सफर हो सारा।
मनमीत मनोहर,
खुशियां लुटाईये।

?

रचनाकार : रमाकांत सोनी सुदर्शन

नवलगढ़ जिला झुंझुनू

( राजस्थान )

यह भी पढ़ें :-

Similar Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *