छत्तीसगढ़ी भाखा

( Chhattisgarhi Bhakha ) 

गजब मीठ लागे भईया छत्तीसगढ़ी भाखा गजब मीठ लागे,
ये सुग्घर छत्तीसगढ़ी भाखा ला बोलईया अपन कस लागे।

गुरतुर सुग्घर ये बोली हा सुनईया के कान मा मीठ घोले,
देस रहे चाहे परदेस अलग चिन्हारी पाए जेन एला बोले।

छत्तीसगढ़ी के सात सुर मा करमा ददरिया सबला नचावय,
सुग्घर छत्तीसगढ़िया लोकगीत मा सबके मन मोहा जावय।

छत्तीसगढ़ के छत्तीसों गढ़ ला इही भाखा हा एक मा जोड़े,
बड़ धनी हावय हमर भाखा एकर आगु मा सब हाथ जोड़े।

मीत मितान कस नाता जोड़े हमर भाखा सबके हिरदय मा रहे,
का घर अऊ का बाहिर सबो कोती तो एही हा जुबान मा रहे।

बड़ महान छत्तीसगढ महतारी अऊ इहां के जम्मो संस्कृति परब,
जागिस भाग मोर जो इहां जन्मेव ए बात के मोला हावय गरब।।

 

रचनाकार  –मुकेश कुमार सोनकर “सोनकर जी”
रायपुर, ( छत्तीसगढ़ )

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