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चल अब घर चल | Children’s Hindi Literature

चल अब घर चल

( Chal ab ghar chal ) 

 

चल चल अब घर चल सरपट सरपट घर चल,
मत बन नटखट चल झटपट झटपट घर चल।
उछल उछल कर न चल अब नटखट मत बन,
मत कर चक चक मत कर पक पक घर चल।।

समय समय पर पढ एवम नए नए जतन कर,
पथ पर थम मत अक्षर पढ़कर वनरक्षक बन।
वजन कम कर कसरत कर चल अब घर चल,
जम कर पढ़ भटक मत कल तक सक्षम बन।।

अकड अकडकर मत चल सब पर नजर रख,
बरगद पर अजगर ह नमन कर मगर डर मत।
अमन गलत हरकत न कर चल अब घर चल,
बनठनकर सजकर अजयनगर चल भग मत।।

यह फसल उपकरण अब इधर उधर न पटक,
गडबड मत कर खटपट मत कर अब समझ।
अब सडक गरम ह पग नरम ह चल घर चल,
उछल उछल कर मत चल अमन अब समझ।।

अमल कर मतलब समझ जपकर भजन कर,
समय पर उठ गणपत हरजस कर नमन कर।
हमदम बन छल मत कर नफरत जहर न भर,
छगन दशरथ अनवर अहमद अब पहल कर।।

 

रचनाकार : गणपत लाल उदय
अजमेर ( राजस्थान )

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