छोड़ो भी ए सनम गिला शिकवा
छोड़ो भी ए सनम गिला शिकवा
क्या करेगे यूं ही सदा शिकवा
प्यार की तो नहीं हुई बातें
जिंदगी में सदा मिला शिकवा
प्यार की क्या करता वहीं बातें
हाँ सुना और कर गया शिकवा
दोस्ती करने की ख़ता थी ये
हाँ वफ़ा के बदले दिया शिकवा
तू मिला ले अब प्यार की आंखें
और मत कर सनम ज़रा शिकवा
क्या रवानी देगा मुहब्बत की
उन नाजुक होठों पे रहा शिकवा
कब करी उसने प्यार की बातें
रोज़ आज़म यहाँ हुआ शिकवा
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