साइकिल की सवारी | Cycle ki Sawari
साइकिल की सवारी
( Cycle ki sawari )
स्वस्थ रहना है तो प्यारे लो साइकिल चलाओ।
तंदुरुस्ती का राज अनोखा जीवन में अपनाओ।
साइकिल की करें सवारी प्रदूषण ना हो भारी।
हाथ पांव में जान हो सब सांसे बुलंद हो हमारी।
तन हो चंगा मन पावन हो चुस्ती फुर्ती का है राज।
सुबह-सुबह साइकिल से चले घूमने आओ आज।
मौज-मस्ती पिकनीक साइकिल सवारी भाये।
बच्चे युवा सबको हर्षित सैर सपाटा कर जाए।
साइकिल से कसरत हो तन को ताकत मिले।
खुली हवा में घूमना आनंद मिले चेहरे खिले।
आओ हिलमिल हम करें साइकिल सवारी भोर।
सुबह सुहानी सी लगे चल दें तंदुरुस्ती की ओर।
घर परिवार सब स्वस्थ रहे नुस्खा कारगर जानो
खर्चा करो कम साइकिल को ही असली मानो।
कवि : रमाकांत सोनी सुदर्शन
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )