ढा रहे अपने सितम ये

ढा रहे अपने सितम ये

ढा रहे अपने सितम ये

 

 

ढा रहे अपनें सितम ये

हो गया कैसा  वतन ये

 

हम मिटा देगे अदूँ को

जान से प्यारा वतन ये

 

सब मिटा देगे जहां से

जुल्म को भी है लगन ये

 

प्यार से सीचो वतन ये

कर रहा है अब चमन ये

 

है क़सम कर तू हिफ़ाजत

है तेरा आज़म वतन ये

 

 

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शायर: आज़म नैय्यर

(सहारनपुर )

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