ढलने लगी धीरे-धीरे जवानी
ढलने लगी धीरे-धीरे जवानी
ढलने लगी धीरे-धीरे जवानी
बदलने लगी धीरे-धीरे कहानी
भरोसा दिलों का अब घटने लगा
पिघलने लगी धीरे-धीरे रवानी।।
बुढ़ापा बदन पर छाने लगा
चांद सा चेहरा मुरझाने लगा
चेहरे पर दिखती नही कोई रौनक
सचमुच बुढ़ापा अब आने लगा।।
वो मौसम दिखे ना फिजाएं दिखे
हरी भरी दिलकश हवाएं दिखे
दिखता नहीं है जुनून दिल में कोई
नजरों में अब तो दवाएं दिखे।।
मोहब्बत गई अब फसाना गया
चाहतों का दिलकश जमाना गया
घटने लगी अब उमंगे तरंगे
मिलने का अब तो बहाना गया।।








