धूल रहे ना मन आंगन में | Dhool Rahe na Man Aangan me
धूल रहे ना मन आंगन में
( Dhool rahe na man aangan me )
लो आ गई दिवाली भाई, कर लो साफ सफाई।
धूल रहे ना मन आंगन में, कर लो थोड़ी चतुराई।
मन का मेल मिटाओ प्यारे, उजियारा घट कर लो।
मनमंदिर में दीप जलाओ, सद्भाव प्रेम उर भर लो।
मन का कोना-कोना दमके, करुणा प्रेम धीरज धारो।
यश कीर्ति परचम लहरे, शुभ कर्म कर जीवन संवारों।
ईर्ष्या द्वेष नफरत त्यागो, प्रीत की बहा दो गंगा।
हंस हंस सबसे गले मिलो, मन हो जाएगा चंगा।
स्नेह सुधा प्रेम बरसाओ, जगमग दीपों की कतार।
दिवाली रोशन हो जाए, जन मन उमड़े बस प्यार।
दमक उठे भाग्य सितारे, वैभव भंडार भरा मिले।
हर्ष खुशी आनंद उमड़ता, खुशियों से चेहरे खिले।
प्यार भरे अनमोल मोती, मीठे बोल कहो भावन।
दीपों का त्योंहार हमारा, दीपावली पर्व है पावन।
कवि : रमाकांत सोनी
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )