ढ़ूढ़ने से कही नहीं मिलती | Dhoondne se kahin nahin milti
ढ़ूढ़ने से कही नहीं मिलती
( Dhoondne se kahin nahin milti )
ढ़ूढ़ने से कही नहीं मिलती!
ऐ ख़ुदा अब ख़ुशी नहीं मिलती
उम्रभर साथ दे वफ़ाओ से
कोई ऐसी दोस्ती नहीं मिलती
रह गया है फ़रेब आंखों में
अब सच्ची आशिक़ी नहीं मिलती
टूटे दिल को क़रार आये कुछ
ऐसी कोई वो शाइरी नहीं मिलती
चैन दे जो मेरे ग़म को खुशबू
वो चमन में कली नहीं मिलती
यूं भरी दिल में ही उदासी है
मन की वो दिलकशी नहीं मिलती
दर मिले जो वफ़ा का ही आज़म
कोई ऐसी गली नहीं मिलती