दिल चुराने का ये अंदाज न हो | Dil love shayari
दिल चुराने का ये अंदाज न हो
( Dil churane ka ye andaz na ho )
दिल चुराने का ये अंदाज न हो।
क्या मजा है जो कोई राज न हो।।
टूट जाउंगा बिखर जाऊंगा,
जिंदगी इस कदर नाराज़ न हो।
बहुत दिनों कहने से डर जाता हूं,
छू लूं तुमको अगर ऐतराज न हो।
वो भी दुनिया नसीब कब होगी,
बात होती रहे अल्फाज न हो।
इश्क है नाम उसी का शायद,
अश्क गिरते रहें आवाज न हो।
चौंक कर रात में उठ जाता हूं,
फिर नये जख्म का आगाज न हो।
शेष मुमकिन नहीं जमाने में,
मेरा सुर हो तुम्हारी साज न हो।।
लेखक: शेष मणि शर्मा “इलाहाबादी”
प्रा०वि०-बहेरा वि खं-महोली,
जनपद सीतापुर ( उत्तर प्रदेश।)
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